मर्दानी रानी

शक्ति थी या वो भवानी थी।
चिंगारी थी वो मस्तानी थी।
बिजली सी अंग्रेजों पे बरसी
स्वतंत्रता की वो दीवानी थी।

अठारह सौ सत्तावन में जागी
बन के ज्वाला वो दहक उठी।
अंग्रेजों के रक्त की वो प्यासी
बन कर रणचंडी लपक उठी।
शक्ति थी वो या भवानी थी।
चिंगारी थी वो मस्तानी थी।

सुभाष शर्मा

टुकड़ी महिला फौज की ले
मनु ने फिरंगियों पे वार किया।
डलहौजी ने हड़प नीति चल
रानी की संपत्ति पर घात किया।
अदालत ने वाद खारिज कर
रानी पर कर्ज बोझ लाद दिया।
इन वारो से महल छोड़ मर्दानी
रानी महल में जाकर वास किया।
शक्ति थी वो या भवानी थी।
चिंगारी थी वो मस्तानी थी।

नारी होकर भी वह मर्दानी थी
अंग्रेजों से लोहा लेने की ठानी थी।
उसकी तलवार की धार के आगे
झुकती अंग्रेजों की जवानी थी।
शक्ति थी वो या भवानी थी।
चिंगारी थी वो मस्तानी थी।

झाँसी से उठी चिंगारी जिसे
पूरे भारत में आग लगानी थी।
बन व्यापारी जो लूट रहे थे
लड़ने की उनसे हिम्मत जगानी थी।
दिल्ली आगरा बनारस नागपुर
मथुरा जबलपुर तक लौ फैलानी थी।
शक्ति थी वो या भवानी थी।
चिंगारी थी वो मस्तानी थी।

सवार हो अपने घोड़े पर रानी ने
पुत्र को अपनी पीठ पर बांध लिया।
झांसी से चली कालपी मस्तानी
पांच जवानों को अपने साथ लिया।
घात लगाकर कर दुष्ट वाकर ने
छुपकर पीछे से रानी पर वार किया।
आधा मस्तक कटा महारानी का
फिर भी फिरंगियों में हाहाकार मचा।
शक्ति थी वो या भवानी थी।
चिंगारी थी वो मस्तानी थी।

काटकर सर कितने अंग्रेजों के
मस्तानी राष्ट्र पर शहीद हुई।
महिला हो विरता का काम किया
देशभक्ति में शहीद हो नाम किया।
देशभक्ति की ज्योति जलाकर
देश को स्वतंत्रता का पैगाम दिया।

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