शी द क्रिकेटर

भारतीय महिला क्रिकेट टीम की लंबे समय तक सदस्य रही मिनोति देसाई द्वारा लिखी गई एक किताब काफी चर्चा में है। यह किताब लिखी तो गई एक सोनिया नाम की किरदार पर है लेकिन यह कहा जा रहा है यह मिनोति की आत्मकथा है। मिनोति इंदौर में ही लंबे समय से रही है और वर्तमान में वे सेंट्रल एक्साइज डिपार्टमेंट दिल्ली में कार्यरत हैं। इस किताब में लेखिका ने सोनिया के बचपन से लेकर अब तक के समय का बखूबी जिक्र किया है जो 40 वर्ष की उम्र से ज्यादा की हो गई है। सोनिया ने किस तरह से क्रिकेट खेलना शुरू किया और खुद को उसके लिए कैसे तैयार किया यह किताब में लिखा गया है। जब भारतीय क्रिकेट टीम में सोनिया चुनी गई तो उनके साथ कप्तान फिरोजा और इंदौर की ही एक वरिष्ठ खिलाड़ी वंदना ने कैसा व्यवहार किया इसे लेकर भी कई पन्ने लिखे गए हैं। सोनिया जब अपने पहले विदेशी दौरे पर न्यूजीलैंड में थी तब उनके दादाजी के निधन की सूचना उन्हें मिली। कुछ ही दिन बाद उनके इकलौते सगे भाई की भी सड़क दुर्घटना में मौत हो गई और फिर चंद दिनों के बाद पिता का भी निधन हो गया। एक तरफ सोनिया के घर पर लगातार दुखों का सिलसिला चल रहा था और उधर अंतरराष्ट्रीय कैरियर की शुरुआत भी थी जहां कुछ वरिष्ठ खिलाड़िÞयों की रसूखदारी उसपर भारी पड़ रही थी। उस दौर की भारतीय महिला क्रिकेट टीम में

मिनोति देसाई  

कुछ सीनियर क्रिकेटरों के समलैंगिक होने का भी इस किताब में खुलासा किया गया है। सीनियर खिलाड़ी के साथ जो जूनियर शारीरिक संबंध बनाती थी वह खेलने में भले ही कमजोर हो लेकिन टीम का हिस्सा जरूर रहती थी। कुछ सीनियर खिलाड़ियों जिनमें कप्तान भी शामिल है उनकी ऐसी तूती बोलती थी कि सिलेक्शन कमेटी के सदस्य भी उनकी बात को टाल नहीं सकते थे। इन सीनियर खिलाड़ियों द्वारा सेक्स के साथ शराबखोरी की बात भी किताब में लिखी गई है। किताब की मुख्य किरदार सोनिया चूंकि इन सीनियर खिलाड़ियों की कारकूनी में शामिल नहीं हुई तो उन्हें टीम से बाहर रखने की जद्दोजहद की जाने लगी। बल्ले से शानदार प्रदर्शन करने के बावजूद सोनिया को टीम से बाहर रखा जाने लगा। खास बात तो यह है कि सोनिया द्वारा जब एक चयनकर्ता से इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने सीनियर खिलाड़ियों के काकस के आगे खुदकों व अन्य चयनकर्तांओं को नतमस्तक होना ही बताया। टीम से बाहर रहने का असर सोनिया के सीधे दिमाग पर पड़ा और उसने क्रिकेट को अलविद कर दिया। क्रिकेट को अलविदा करने के साथ ही उस एयरलाइंस की भी नौकरी छोड़ दी जिसकी टीम में भी इन सीनियर खिलाड़ियों का ही वरदहस्त था। सोनिया की दिमागी स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि उसने एक बार तो नींद की गोलियां खाकर जान देने की कोशिश की लेकिन उनकी सहेली समय पर पहुंच गई जिन्होंने उसे नया जीवन दिया। सोनिया को फिर से सामान्य जीवन में लाने के लिए उसकी सहेलियों व दोस्तों ने काफी कोशिश की जिसमें उन्होंने सफलता भी हासिल की। सोनिया फिलहाल म.प्र. महिला क्रिकेट टीम की चयन समिति में है और देश की युवा पीढ़ी को भी क्रिकेट के गुर सिखा रही है। मिनोति की इस किताब को पढ़ने के बाद कुल मिलाकर यह समझा जा सकता है कि उस समय की महिला भारतीय क्रिकेट टीम क्यों इतनी कमजोर थी।      

 

 

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