मां मुझसे गले लगी और चल बसी, हाथ में मां का टैटू बनवाया….और फिर मां मुझे मिल गई
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मोनिका यादव
मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज
आपको हैडिंग पढ़कर कुछ अजीब लग रहा होगा। बता दें यह एक युवती की सच्ची कहानी है जिसे सुनकर आपको हैरत जरूर होगी, लेकिन कहते हैं न जिसका कोई नहीं उसका भगवान होता है। हमारी यह सच्ची कहानी भी कुछ ऐसी ही है जिसकी मुख्य पात्र मोनिका यादव हैं जो खातेगांव की रहने वाली है। मोनिका वर्तमान में इंदौर के जिला पंचायत कार्यालय में कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद पर काम कर रही है। मोनिका गर्वमेंट लॉ कॉलेज इंदौर से बीए-एलएलबी की पढ़ाई भी कर रही हैं। असल में मोनिका के हाथ में एक टैटू बना है। यह टैटू उनकी दिवंगत मां ममता यादव का है। टैटू बनाने वाले कलाकार ने भी काफी सफाई से काम किया है। मोनिका यादव की मां दिवंगत हो चुकी हैं फिर उनकी मां वापस कैसे आई यह बात आपको समझ नहीं आ रही होगी। चलिए हम आपको मोनिका की जुबानी ही पूरी बात बताते हैं।
वह दिन मैं कभी भूल नहीं सकूंगी, जब मां गले लगी तो मुझे सकून मिला लेकिन…..
हम तीन भाई-बहन है जिसमें सबसे बड़ी बहन रानी, फिर भाई देवेंद्र और उसके बाद मैं हूं। दोनों भाई-बहनों की शादी हो चुकी है। मेरे पिता बलराम यादव भी खातेगांव में ही काम करते थे। 2 जून 2021 का वह दिन मैं जिंदगी में कभी नहीं भूल सकूंगी। उस दिन मेरी मां ममता यादव हरदा के प्रिया नर्सिंग होम से कोरोना का इलाज कराकर घर लौटी थी। मां ने मुझसे कहा खाना बना ले। फिर उन्होंने कहा पानी पिला दे। भाई ने पानी का ग्लास आगे बढ़ाया तो मां ने मेरी तरफ इशारा करके कहा तू पिला। मैंने ग्लास लिया और मां को पानी पिलाया। पानी पीकर मां मेरे गले लगी। मां के ठीक होकर आने से मैं काफी खुश थी। मैंने भी मां को गले लगाया। हम दोनों की आंखों में आंसू थे। कुछ सेकंड्स हम गले लगे रहे। उस दौरान मेरे दिल को कुछ ऐसा सुकुन मिल रहा था जो शायद स्वर्ग में भी न मिले। मेरे गले लग मां बेसूध हो गई। मुझे लगा मां को भी राहत मिल रही होगी। …लेकिन जब मैंने मां को दूर किया तो उन्हें देखकर हम सभी चौंक गए। मां इस दुनिया को अलविदा कह चुकी थी। मुझे ऐसा लगा कि मैं गहरे गड्ढे में गिर चुकी हूं, चारो तरफ अंधेरा ही अंधेरा दिख रहा था। मां के जाने का गम मेरे लिए डिप्रेशन का कारण बन गया। मेरी नींद-चैन सभी उड़ गए। मेरे सामने लंबा रास्ता था लेकिन मां की अंगुली नहीं थी, जिसे पकड़कर मैं अब तक आगे बढ़ रही थी। मां के जाते ही पिता भी बदल गए और भाई भी अपने परिवार में जुट गया। बहन चिंता तो करती है लेकिन उसे भी अपना घर संभालना है। मेरा अकेलापन मेरे लिए तनाव लेकर आ गया।
मां मेरे साथ रहे इसलिए टैटू बनवाया..
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मां के जाने के बाद मुझे रह-रहकर उनकी याद सताने लगी। मां की फोटो को मैं हमेशा देखा करती थी लेकिन फोटो तो हर जगह ले नहीं जा सकती थी। मुझे लगा हाथ पर मां रहेगी तो वह अपनी बेटी को रास्ता दिखाएगी। मैंने अपने परिचित टैटू आर्टिस्ट विक्की मीणा को मां का फोटो देते हुए कहा मां का टैटू बना दो। विक्की ने कहा यह एक ही बार बन पाएगा और मुझसे अच्छा काम दिल्ली के सुनील अखंड कर सकते हैं। सुनील अखंड दिल्ली से मेरे लिए आए और उन्होंने मां का टैटू बनाया। मां जब से मेरे हाथ पर आई तब से मेरा जीवन ही बदल गया। अब मुझे अकेलापन नहीं लगता। कहीं भी मैं अटकती हूं तो मां सामने दिखती है, फिर मेरी समस्या अपने आप हल हो जाती है।
इंस्टाग्राम पर मिली विभा जिसने दिया मां व परिवार
मैं अपने अकेलेपन में इंस्टाग्राम पर अपनी एक सहेली से बात करती थी। वह सहेली इंदौर में रहती थी। उस सहेली के कारण मेरी विभा शर्मा से दोस्ती हुई जो कक्षा 12वीं की स्टूडेंट है और इंदौर के विदुर नगर में रहती है। हम दोनों काफी समय इंस्टाग्राम पर बात करते रहे। विभा ने मेरी भावनाओं और तकलीफो को समझा। उसने मुझसे जिद करके पूरी बात सुनी कि मुझे क्या परेशानी है? असल में मेरी मां मुझे एक सफल युवती बनाना चाहती थी जिसके लिए वे हायर एजुकेशन दिलाने की बात कहती थी। मां का एकाएक चले जाना मेरे लिए तो पहाड़ टूटने जैसा ही था। कॉलेज की पढ़ाई का खर्च भी काफी आता है। यह बात विभा ने समझी। उसने अपनी मां भावना शर्मा को मेरे बारे में बताया और उनसे कहा मोनिका को अपने यहां बुला लें? वीडियो कॉल पर मां भावना शर्मा से मेरी बात हुई। उन्होंने मुझे अपने यहां रहने के लिए बुला लिया। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं इंदौर में रहकर पढ़ूंगी व नौकरी भी करूंगी। मुझे अब मां के रूप में भावना मम्मी मिल गई वहीं पिता ऋषिकेष शर्मा हैं। भाई हिमांशु है तो एक भाई हरिओम शर्मा व उनकी पत्नी भी है। नानाजी के रूप में श्रीकृष्ण शर्मा मिल गए जो आज भी ऑटो रिक्शा चलाते हैं। हमारा यह परिवार टिफिन सेंटर व पानी पुरी का काम करता है। हम सभी मिलकर रहते हैं और बड़े खुश हैं। मुझे जिला पंचायत इंदौर में कम्प्यूटर ऑपरेटर की नौकरी भी मिल गई। जिला पंचायत अध्यक्ष रीना सतीश मालवीय का व सारे स्टॉफ का मुझपर काफी स्नेह रहता है। मेरी मां ममता यादव तो मेरे साथ ही रहती हैं। (जैसा मोनिका यादव ने विहान हिंदुस्तान डॉटकॉम को बताया)
पहली बार देखा तो मुझे लगा लड़का है…
विहान हिंदुस्तान डॉटकॉम ने विदुर नगर स्थित ऋषिकेष शर्मा और भावना शर्मा से मुलाकात की। भावना शर्मा ने बताया कि मोनिका लड़को की तरह ही रहती है, छोटे बाल रखना उसे पसंद है। वह इसके पीछे कारण यह बताती है कि उसकी मां ममता यादव उसे लड़के की तरह ही पालती थी। जब पहली बार मेरी बेटी विभा ने मोनिका से वीडियो कॉल पर बात कराई तो मैंने विभा को कहा तू किस लड़के से मेरी बात करा रही है। बाद में जब उसने बताया कि वह लड़का नहीं लड़की है तब मुझे असली बात समझ में आई। मोनिका काफी होनहार लड़की है और अब यह मेरी ही बेटी है। वैसे भी मेरी सगी बहन की मृत्यु के बाद उनके दोनों बेटा-बेटी भी मेरे ही यहां रहकर बड़े हुए हैं। मेरे अब पांच बेटे-बेटी हैं।
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