बंते के बगैर अधूरी रहेगी हमारे इंदौर की कुश्ती, धोबीपाट दांव मारने में माहिर थे…

अखिलेश यादव के साथ बंते यादव का यह फोटो हाल ही का है जब सपा अध्यक्ष बंते भाई के घर आए थे

मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज

शायद साल 1998-99 का समय होगा जब पहली बार मेरी मुलाकात मूलचंद यादव (बंते पहलवान) से हुई थी। एक दंगल को जब में कवर करने पहुंचा तब मुन्नू इक्का पहलवान ने बंते भिया से मेरा परिचय कराया था। परिचय कराते समय कुछ यही शब्द कहे थे कि बंते जिस दंगल में न जाएं तो वह दंगल अधूरा माना जाता है। बंते भिया से वह पहली मुलाकात कुछ ऐसी रही कि मैं उनसे जुड़ गया। मैंने जब पत्रकारिता में प्रवेश किया तब तक बंते भिया तो कुश्ती छोड़ चुके थे लेकिन वे अपने अखाड़े के पहलवानों के लिए जरूर दंगल में पहुंचते थे। वे अपने धोबीपाट दांव मारने के लिए ख्यात थे और इस दांव में माहिर माने जाते थे। एक दंगल में बंते भिया ने हसीम अक्कू पहलवान को लगातार पांच धोबीपाट मारे जिससे एरिना धूल के गुबार से पट पड़ा था। बंते भिया आज हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी यादें हमेशा हमारे साथ रहेगी। उनके बगैर हमारे इंदौर के दंगल अधूरे ही रह जाएंगे। विहान हिंदुस्तान डॉटकॉम भी बंते यादव को श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

बंते भिया ने समय के साथ कुश्ती से राजनीति में कदम ​रखा और यह संयोग की ही बात थी कि मैं खेल गतिविधियों को कवर करते-करते राजनीतिक खबरें लिखने लग गया। संभवत: यह कारण भी रहा कि मेरा बंते भिया के साथ संपर्क अभी तक बना रहा। करीब दस दिन पहले मेरी उनसे फोन पर बात हुई थी तो कुश्ती से लेकर राजनीति तक हम बतियाते रहे। म.प्र. कुश्ती संघ को लेकर उन्होंने मुझसे कहा अब मैं बाहर से रहकर कुश्ती को सपोर्ट करूंगा। मैंने म.प्र. कुश्ती एसोसिएशन के अध्यक्ष व प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव को कह दिया कि मैं अपना केस वापस ले लूंगा और हम सभी साथ मिलकर म.प्र. की कुश्ती को आगे बढ़ाएंगे। राजनीति को लेकर बंते भिया काफी उत्साहित थे। कहने लगे विपक्ष एक रहा तो तुम्हारा भाई अच्छे परिणाम लेकर आएगा। अपनी डॉक्टर बेटी को लेकर भी उन्होंने बात की और उसकी तरक्की को लेकर वे काफी खुश थे।

यह कुछ अजीब बात है कि कल रात करीब 10 बजे मैं राजनीतिक पार्टी मालवा-कांग्रेस के अध्यक्ष महेंद्र राव से उनकी पार्टी को लेकर चर्चा कर रहा था तभी जिक्र बंते भिया का भी आया। मैंने कहा पिछली बार विधानसभा चुनावों के समय भोपाल में रिवेरा टाउनशिप में बंते भिया ने समाजवादी पार्टी का कार्यालय खोला था तब उनके साथ घंटो-घंटो बैठक हो जाया करती थी। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का बंते भिया पर भरोसा भी काफी था। राव साहब के साथ हुई इस बात के करीब ढाई घंटे बात जब मैंने मोबाइल देखा तो वाट्सएप पर मैसेज पढ़कर मैं स्तब्ध रह गया। एक दोस्त का मैसेज था बंते भिया नहीं रहे। सुबह जब मैं हमारे अखाड़े दादा ताराचंद रेसलिंग सेंटर पर गया तो वहां रमेश मिस्त्री पहलवान और नरेश वर्मा (मुन्ना पहलवान) को बंते भिया के निधन की दुखद खबरे सुनाई। मुन्ना पहलवान बोले मेरे साथ बंते ने जोर किया है। काफी अच्छा पहलवान था।

बंते भाई को श्रद्धांजलि देते हुए रमेश मिस्त्री पहलवान

रमेश मिस्त्री पहलवान तो बंते भिया के निधन की खबर सुनकर चौंक गए और अगले ही पल उनकी आंखें भर आई। कहने लगे मेरे गुरु के समान और बड़ा भाई भी था बंते भाई। उसके पास की बादाम मुझे खिलाता था। जब मुझे साइकिल चलाते नहीं आती थी तो ​पीछे बैठाकर दंगल लड़ाने ले जाता था। फिर जब मैंने साइकिल सीखी तो पीछे बैठकर कई बार डबल पेडल भी लगाता था। मांगल्या, महू और देपालपुर तक कुश्ती लड़ने हम साइकिल से गए। बाणगंगा का प्रसिद्ध अखाड़ा बलभीम व्यायामशाला के हम सदस्य हैं और उस दौरान पूरी टीम साइकिल से साथ जाती थी। रमेश मिस्त्री पहलवान का कहना था हम रेसलिंग सेंटर में प्रतिदिन एक मेहमान को बुलाते हैं ताकि वह बच्चों के साथ उनका अनुभव साझा कर सके। दो सप्ताह पहले बंते भाई ने मुझे फोन लगाया और कहा रमेश मुझे कब बुलाएगा? मैंने कहा बंते भिया आपके लायक अखाड़ा कर दूं और पहलवान उस स्तर के कर दूं तब आपको बुलाने में कुछ मजा आएगा। वह कहने लगे जब तुम बुलाओंगे तब आ जाऊंगा लेकिन यह तुमने अच्छा किया कि अखाड़ा बेटियों के लिए खोला जिसका नेतृत्व तुम कर रहे हो। मेरी शुभकामनाएं तुम्हारे साथ है।

पहलवानों ने दी श्रद्धांजलि….

राजीव गांधी चौराहे पर स्थित दादा ताराचंद रेसलिंग सेंटर पर पहलवानों ने बंते पहलवान के निधन पर मोमबंदी जलाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। नरेश वर्मा व रमेश मिस्त्री पहलवान ने नन्हें पहलवानों को बंते ​भाई की पहलवानी और उनके जीवन के बारे में बताया। पहलवानों ने दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धासुमन अर्पित किए।

पुलिस की नौकरी में रहते हुए ओलिंपियन को कर दिया था चित

बंते भिया ने कुछ समय पुलिस की नौकरी भी की। पहलवानी में मेहनत करने का यह उन्हें तोहफा था कि सरकार ने उन्हें पुलिस के लिए चयनित किया। भारतीय कुश्ती में बंते भिया का दबदबा तब बना जब उन्होंने अ.भा. पुलिस कुश्ती में उस समय के ओलिंपियन महावीरसिंह भूरा को जबरदस्त पटखनी दे डाली थी। एक ओलिंपियन को हराकर कुश्ती का मैडल जीतना अपने आप में बड़ी कामयाबी थी। बंते भिया ने अपने समय में ढेरों कुश्तियां जीती। उनकी दिलेरी की सभी तारीफ करते हैं। महेश वर्मा (बच्चू पहलवान) का कहना है दंगल में बंते की जीत का बड़ा कारण उसकी दिलेरी रहती थी। पहले ही वह मनोवैज्ञानिक रूप से अपने विपक्षी पहलवान पर दबाव बना देता था जिसका असर उसके पक्ष में जाता था।

कांग्रेस से पार्षद भी रहे…

बंते यादव ने पहलवानी के साथ राजनीति में भी काफी नाम हासिल किया। वे कांग्रेस में रहते हुए पार्षद के रूप में भी चुने गए। उनकी राजनीति का ग्राफ काफी ऊपर होता लेकिन उन्होंने खुद को पीछे रखते हुए कई अन्य लोगों को आगे बढ़ने का मौका दिया। म.प्र. के उपमुख्यमंत्री रहे सुभाष यादव के बंते भाई काफी करीबी थे।

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