लव जिहाद पर रैलियां…मुस्लिम बुद्धिजीवी संघ प्रमुख मोहन भागवत से खफा, लिखी चिट्ठी
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विहान हिंदुस्तान न्यूज
मुस्लिम बुद्धिजीवीयों के एक धड़े ने संघ प्रमुख मोहन भागवत को एक चिट्ठी लिखकर अपनी मन की बात कही है। चिट्ठी में बोल कुछ ऐसे हैं जिससे पता चल रहा है कि ये बुद्धिजीवी आरएसएस से खफा हैं। चिट्ठी में लव जिहाद को लेकर होने वाली रैलियों का खास उल्लेख है। खास बात तो यह है कि मुस्लिमों का यह बुद्धिजीवी वर्ग मोहन भागवत से मिलना भी चाह रहा है लेकिन श्री भागवत के पास फिलहाल समय नहीं है।
मिली जानकारी के अनुसार ये चिट्ठी मोहन भागवत को 23 मार्च को भेजी गई थी। इस पर हस्ताक्षर करने वालों में दिल्ली के पूर्व उप-राज्यपाल नजीब जंग, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई. क़ुरैशी, पूर्व राज्यसभा सदस्य शाहिद सिद्दीक़ी, लेफ़्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) ज़ेड.यू. शाह और सईद शेरवानी शामिल हैं। इन बड़े नामों वाले मुस्लिम चेहरे देश में अपना एक स्थान रखते हैं। ये सभी हस्तियां अलायंस फ़ॉर इकोनॉमिक एंड एजुकेशनल एम्पावरमेंट ऑफ़ द अंडरप्रिविलेज़्ड (एईईडीयू) के संस्थापक सदस्यों में शामिल हैं। इस समूह ने ही पिछले साल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संवाद बनाया था। इन्होंने दो समुदायों के बीच की खाई पाटने की कोशिशें शुरू की थीं। पिछले साल से आरएसएस से संवाद कर रहे मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को चिट्ठी लिखकर नफ़रत फैलाने वाले भाषण और मुस्लिम विरोधी बैठकों के लगातार जारी रहने पर ‘पीड़ा’ ज़ाहिर की है। चिट्ठी में खास शिकायत महाराष्ट्र में हुए ‘लव जिहाद’ रैलियों को लेकर की गई है। इसमें यह भी उल्लेख करते हुए कहा गया है कि आरएसएस की ओर से इन्हें रोकने के लिए अधूरे मन से प्रयास किए गए हैं। चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा के मामले, नरसंहार का आह्वान और नफ़रत फैलाने वाले बयान अभी भी जारी हैं। हाल ही में छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में मुसलमान-विरोधी मार्च घृणा से भरे हुए थे। विशेष बात यह है कि इसमें मुसलमानों से खरीदारी के बहिष्कार की मांग उठाई गई थी। महाराष्ट्र में तो ऐसे मार्च क़रीब एक महीने से भी अधिक समय तक चले। इनमें से अधिकांश पुलिस की मौजूदगी में हुए। इसमें कुछ में कार्रवाई तो हुई लेकिन नाममात्र की हुई। चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि मार्च निकालने वाले लोगों को असानी से छोड़ दिया गया जिससे मुसलमानों में पीड़ा और भय पैदा हो रहा है।
श्री भागवत को लिखी गई चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि बीते साल अगस्त में आपसे मिलने के बाद हमने बहुत से प्रभावशाली (धार्मिक और दूसरे) मुस्लिम नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने एक सुर में हमारी पहल का समर्थन किया और हमने ये संदेश भाई कृष्ण गोपाल और अन्य लोगों तक भी पहुंचाया। इन मुस्लिम बुद्धिजीवियों का कहना है आज हमारे अंदर निराशा का भाव है और हमारे प्रयासों की उपयोगिता को लेकर सवाल भी है।