नर्सिंग कॉलेज : अक्षर कॉलेज ने नर्सों के फर्जी हस्ताक्षर किए व झूठी उपस्थिति भी भेजी, अन्य फर्जी कॉलेज हुए सतर्क

मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज

म.प्र. में शिक्षा माफियाओं का वर्चस्व जबरदस्त है और उन पर कार्रवाई करने से कलेक्टर भी कतराते हैं। इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने यह बीड़ा उठाया है और उन्होंने नर्सिंग कॉलेजों की में चल रहे फर्जीवाड़े पर सबसे पहले कार्रवाई शुरू की है। अरंडिया के एक आवासीय भवन में चल रहे अक्षर नर्सिंग कॉलेज से कई अनियमितताएं निकली है। अब कलेक्टर अन्य नर्सिंग कॉलेजों की भी जानकारी निकलवा रहे हैं ताकि उनके फर्जीवाड़े भी बाहर आ सके। चूंकि फर्जीवाड़ा करके चल रहे नर्सिंग कॉलेजों से डिग्री लेकर निकलने वाले स्टूडेंट्स जब किसी अस्पताल या नर्सिंग होम में जॉब करेंगे तो ऐसी नर्स मरीजों का क्या हाल करेगी इसे सोचकर ही दिल पसीज जाता है। प्रशासन की टीम को जांच रोकने के लिए रिश्वत में कोई बड़ी राशि भी ऑफर किये जाने की बात आ रही है हालांकि इंदौर प्रशासन ऐसे मामलों को लेकर सतर्क भी बताया जा रहा है। एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि फर्जीवाड़ा करने वाले कॉलेज टेंट हाउसों से सामान लेकर अपने भवन में खानापूर्ति करने में जुट गए हैं।

म.प्र. नर्सिंग शैक्षणिक संस्था जब भी नर्सिंग कॉलेज को मान्यता देता है तो उसकी कई नियम व शर्ते होती है। अक्षर नर्सिंग कॉलेज की बात करें तो यह आवासीय भवन में संचालित हो रहा था जिससे इसे मान्यता ही नहीं दी जाना थी। नर्सिंग शैक्षणिक संस्था ने अपने मान्यता के नियम में स्पष्ट कर रखा है कि किसी भी आवासीय क्षेत्र में नर्सिंग कॉलेज संचालित नहीं होगा जबकि अरंडिया में जिस स्थान पर अक्षर नर्सिंग कॉलेज संचालित हो रहा था वह आवासीय क्षेत्र है। इसे तो मान्यता ही नहीं दी जाना चाहिए थी। इसके अलावा म.प्र. नर्सिंग शैक्षणिक संस्था को नर्सिंग कॉलेज में पढ़ाने वाले स्टाफ का पंजीयन भी चाहिए। कॉलेज अपने प्रत्येक स्टाफ  की जानकारी पंजीयन के लिए भेजेगी। यह जानकारी एक फार्म के माध्यम से भेजी जाएगी उसी आधार पर स्टाफ के सदस्य का पंजीयन किया जाएगा। इसके लिए स्टाफ के फोटो, आधार नंबर, जन्म दिनांक से संबंधित जानकारी, योग्यता, उत्तीर्ण विश्वविद्यालय का नाम, क्लीनिक का अनुभव आदि जानकारी स्टाफ के संबंधित व्यक्ति के हस्ताक्षर से चाहिए होती है। एमवाय में कार्यरत निशा गुप्ता व रश्मि मेढ़ा और नर्सिंग कॉलेज में पढ़ने वाली स्टूडेंट चंपा मौर्य के फर्जी हस्ताक्षर भी अक्षर कॉलेज प्रबंधन ने कर दिये जो एक अपराध की श्रेणी में आता है। विहान हिंदुस्तान डॉटकॉम ने एडीएम पवन जैन से अक्षर नर्सिंग कॉलेज व अन्य की जांच को लेकर जानकारी ली तो उनका कहना था हम सभी बिंदुओं को निकाल रहे हैं ताकि जांच में आसानी हो सके। अनियमितता करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

इंदौर में चल रहे दो दर्जन नर्सिंग कॉलेज

नर्सिंग कॉलेज में फर्जीवाड़े का गढ़ इंदौर ही है। यहां करीब दो दर्जन नर्सिंग कॉलेज संचालित किये जा रहे हैं जिसमें से आधा दर्जन भी नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। अधिकांश कॉलेज शिक्षा माफियाओं के हैं जो सीटें भरने का काम करते हैं। स्टूडेंट्स को परीक्षा के दौरान ही ये बुलाते हैं। कई कॉलेज संचालक तो सिर्फ बिल्डिंगे बनाकर बैठ गए हैं ताकि जांच होने पर वे भवन बता सके। हालांकि जो भवन बताया जाता है उसमें अन्य कोर्सेस के कॉलेज भी संचालित किये जाते हैं। प्रशासन की टीम कॉलेज के पते पर चल रहे कोर्सेस से सबकुछ ट्रेस कर सकती है हालांकि उसे यूनिवर्सिटी व नर्सिंग संस्था से अलग-अलग जानकारी बुलवाना होगी। छात्रवृत्ति का खेल भी इस आड़ में जमकर किया जा रहा है। पैरामेडिकल कॉलेज चलाने वाले अधिकांश कॉलेज संचालक इसमें लिप्त हैं। ये इसलिए भी खुलकर इस कार्य को करने लगे हैं क्योंकि पैरामेडिकल कॉलेजों में छात्रवृत्ति घोटाला अघोषित रूप से दब गया है हालांकि लोकायुक्त एसपी इंदौर एस.एस. सराफ ने विहान हिंदुस्तान डॉटकॉम को दावा किया कि साल 2022 में ही उन सभी आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश कर दिये जाएंगे जिनपर साल 2014 में प्रकरण दर्ज किया था।      

म.प्र. नर्सिंग शैक्षणिक संस्था मान्यता नियम यह है –

1. नर्सिंग कॉलेज संचालक को खुद के स्वामित्व का भवन अनिवार्य है। हालांकि संस्था ने मात्र तीन वर्ष के लिए यह छूट दे रखी है कि वह किराये के भवन में इसे संचालित कर सकता है। तीन साल बाद यदि स्वामित्व का भवन नहीं बनाया तो अर्थदंड किया जाएगा या मान्यता भी समाप्त की जा सकती है।

2. मान्यता के शुरुआती चार सालों में कॉलेज को संचालक को प्रत्येक साल मान्यता का नवीनीकरण कराना अनिवार्य है। इसके बाद एक बार में चार साल की मान्यता दी जाएगी। चार साल बाद पुन: मान्यता लेना अनिवार्य है।

3. केंद्र सरकार या राज्य सरकार कोई नर्सिंग कॉलेज चलाते हैं तो उसे आजीवन मान्यता दी जा सकती है। इसके लिए निर्धारित प्रक्रिया पूरी करना आवश्यक है।

4. किसी नर्सिंग कॉलेज का तीन साल तक यदि परफार्मेंस ठीक नहीं रहा तो उसकी मान्यता निरस्त कर दी जाएगी। इसके लिए राज्य के औसत से उत्तीर्णता का प्रतिशत कम होने पर तो परफार्मेंस खराब माना ही जाएगा साथ ही भवन, स्टॉफ व प्रैक्टिल सुविधाओं को भी इस मापदंड में रखा जाता है।

5. किसी कॉलेज प्रबंधन या संचालक द्वारा म.प्र. नर्सिंग शैक्षणिक संस्था को यदि गलत जानकारी देता है तब भी उसकी मान्यता निरस्त की जा सकती है।

6. छात्रों के पंजीयन एवं उपस्थिति से संबंधित गंभीर अनियमितताओं की दिशा में भी मान्यता निरस्त हो जाएगी।

7. शैक्षणिक प्रशिक्षण की गुणवत्ता निम्न स्तर की होने से भी मान्यता निरस्त की जाएगी।

8. स्टूडेंट्स से अनुचित वसूली करने से तथा उनकी सुरक्षा में गंभीर चूक होने से भी मान्यता निरस्त की जा सकती है। ऐसी चूक जो शैक्षणिक संस्थान की मर्यादा के घोर उल्लंघन में आती हो तब यह मान्यता निरस्त होगी। इसमें कॉलेज प्रबंधन या संचालक को संस्था नोटिस जारी करेगी। नोटिस के सात दिनों में जवाब देना होगा अन्यथा स्वत: ही मान्यता निरस्त हो जाएगी।

9. परिषद संस्था का नियमित व समय-समय पर निरीक्षण कर सकेगी। निरीक्षण के दौरान वह प्रत्येक बिंदुओं पर जांच कर सकती है।

10. शैक्षणिक प्रशिक्षण के लिए चिकित्सा की समृद्धता यानि जिस चिकित्सालय से आप जुड़ रहे हैं उस चिकित्सालय का नाम, उसका पता, ई-मेल एड्रेस, दूरभाष आदि बाते म.प्र. नर्सिंग शैक्षणिक संस्था को देना होगी।

11. परिषद द्वारा समय-समय पर फीस लागू की जाएगी जो नर्सिंग कॉलेज को जमा करना होगी। यह सुरक्षा निधि के रूप में जमा की जाएगी।

12. मान्यता के लिए पंजीकृत निजी या सार्वजनिक ट्रस्ट, सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के अधिन पंजीकृत संगठन जिसमें मिशिनरी को भी शामिल किया गया है। यदि कंपनी है तो कंपनी अधिनियम धार-8 के अनुसार पंजीकृत होना आवश्यक है।

13. रहवासी क्षेत्रों में नर्सिंग कॉलेज को मान्यता नहीं दी जाएगी।

14. जिस भवन में नर्सिंग कॉलेज चलाया जा रहा है उस भवन में अन्य कोर्सेस संचालित नहीं किये जा सकते हैं।

ऐसा होना चाहिए नर्सिंग कॉलेज का भवन

1.नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए खुद का भवन अनिवार्य है। यदि किराये के भवन में आप चलाना चाह रहे हैं तो इसके लिए सिर्फ तीन साल की ही मंजूरी आपको मिल सकती है। यदि आप किराये के भवन में भी कॉलेज संचालित करना चाहते हैं तब भी आपको म.प्र. नर्सिंग शैक्षणिक संस्था के नियम फालो करना होंगे।

2. भवन में लेक्चर हॉल होना अनिवार्य है। इसके लिए कम से कम 600 वर्गफीट हॉल होना आवश्यक है वह भी तब जब 30 या उससे कम स्टूडेंट्स बैठ रहे हो। यदि 30 से ज्यादा स्टूडेंट्स बैठेंगे तो प्रति स्टूडेंट्स 18 वर्गफीट अतिरिक्त जगह होना अनिवार्य है।

3. नर्सिंग फाउंडेशन प्रयोगशाला भी 1500 वर्गफीट की होना चाहिए।

4. कम्प्यूटर प्रयोगशाला व ऑडियोविजुअल कक्ष 1500 वर्गफीट का आवश्यक है।

5. मल्टीपरपज हॉल 3000 वर्गफीट होना चाहिए, कॉमन कक्ष (मेल-फीमेल) 1000 वर्गफीट होना चाहिए। प्रशासकीय स्टाफ कक्ष न्यूनतम 400 वर्गफीट का होना चाहिए। इस कक्ष में 30 या इससे कम स्टूडेंट्स के लिए व्यवस्था रहेगी। यदि 30 से ज्यादा व्यक्ति हो तो प्रति व्यक्ति 50 वर्गफीट जगह आवश्यक है।

6. प्राचार्य कक्ष 300 वर्गफीट का, उपप्राचार्य कक्ष 200 वर्गफीट का, लाइब्रेरी 1800 वर्गफीट की, डिपार्टमेंट हेड कक्ष व फेकल्टी कक्ष कम से कम 600 वर्गफीट का होना आवश्यक है। प्रत्येक 15 मेल स्टूडेंट तथा 15 फीमेल स्टूडेंट के लिए एक-एक शौचालय आवश्यक है।

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