विहान हिंदुस्तान के लिए महामंडलेश्वर महंत राजनाथ योगी

नाथ सम्प्रदाय में रात्रि को माता एवं दिन को पिता माना गया है। पिता प्रकाशवान सूर्य रोशनी है और चंद्रमा के समान शीतल माता ममता की छांव रात्रि है। दोनों के ही बिना जीव-जंतु, पशु-पक्षी, प्रकृति और मनुष्य किसी भी तत्व का इस दुनिया में होना यही तय करते हैं। आओ जाने शक्तियां सिद्धि शक्ति प्राप्त करने के लिए रात्रि ही क्यों होती है?
अगर यह रहस्य न होता तो उत्सवों को रात्रि न कह कर दिन ही कहा जाता। नवरात्रि का अर्थ होता है, नौ रातें। हिन्दू सनातन धमार्नुसार यह पर्व वर्ष में दो बार आता है। एक शरद माह की नवरात्रि और दूसरी वसंत माह की। इस पर्व के दौरान तीन प्रमुख हिंदू देवियों- पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ स्वरुपों श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कुष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धिदात्री का पूजन विधि विधान से किया जाता है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं।
प्रथमं शैलपुत्री च
द्वितीयं ब्रह्माचारिणी।
तृतीय चंद्रघण्टेति
कुष्माण्डेति चतुर्थकम्।
पंचमं स्कन्दमातेति
षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रि
महागौरीति चाष्टम्।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिता:।
नवरात्र शब्द से ‘नव अहोरात्रों (विशेष रात्रियां) का बोध’ होता है। इस समय शक्ति के नव रूपों की उपासना की जाती है क्योंकि ‘रात्रि’ शब्द सिद्धि का प्रतीक माना जाता है। भारत में साधू-संत, साधक, तांत्रिक, ऋषि-मुनियों ने रात्रि को अधिक महत्व दिया है। यही कारण है कि दीपावली, होलिका, शिवरात्रि और रात्रि का कोई विशेष रहस्य न होता तो ऐसे उत्सवों को रात्रि न कह कर दिन ही कहा जाता। जैसे- नवदिन या शिवदिन.. लेकिन हम ऐसा नहीं कहते।


चैत्र नवरात्रि का वैज्ञानिक आधार


एक वर्ष में दो बार नवरात्रों का विधान बनाया है- विक्रम संवत के पहले दिन अर्थात चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (पहली तिथि) से नौ दिन अर्थात नवमी तक। इसी प्रकार इसके ठीक छह माह पश्चात आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से महानवमी अर्थात विजयादशमी के एक दिन पूर्व तक नवरात्र मनाया जाता है। सिद्धि और साधना की दृष्टि से नवरात्रों को ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। नवरात्रों में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति संचय करने के लिए अनेक प्रकार के व्रत, संयम, नियम, यज्ञ, भजन, पूजन, योग-साधना आदि करते हैं। यहां तक कि कुछ साधक इन रात्रियों में पूरी रात आसन पर योग मुद्रा में बैठकर आंतरिक त्राटक या बीज मंत्रों के जाप द्वारा विशेष सिद्धियां प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।


सूर्य की किरणों के कारण होता है..


सनातन धर्म ने रात्रि के महत्व को अत्यंत सूक्ष्मता के साथ वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में समझने और समझाने का प्रयत्न किया है। अब तो यह एक सर्वमान्य वैज्ञानिक तथ्य भी है कि रात्रि में प्रकृति के बहुत सारे अवरोध खत्म हो जाते हैं। हमारे ऋषि-मुनि आज से कितने ही हजारों-लाखों वर्ष पूर्व ही प्रकृति के इन वैज्ञानिक रहस्यों को जान चुके थे।
आप अगर ध्यान दें तो पाएंगे कि अगर दिन में आवाज दी जाए, तो वह दूर तक नहीं जाती है किंतु यदि रात्रि में आवाज दी जाए तो वह बहुत दूर तक जाती है। इसके पीछे दिन के कोलाहल के अलावा एक वैज्ञानिक तथ्य यह भी है कि दिन में सूर्य की किरणें आवाज की तरंगों और रेडियो तरंगों को आगे बढ़ने से रोक देती हैं। रेडियो इस बात का जीता-जागता उदाहरण है। आपने खुद भी महसूस किया होगा कि कम शक्ति के रेडियो स्टेशनों को दिन में पकड़ना अर्थात सुनना मुश्किल होता है जबकि सूर्यास्त के बाद छोटे से छोटा रेडियो स्टेशन भी आसानी से सुना जा सकता है। इसका वैज्ञानिक सिद्धांत यह है कि सूर्य की किरणें दिन के समय रेडियो तरंगों को जिस प्रकार रोकती हैं ठीक उसी प्रकार मंत्र जाप की विचार तरंगों में भी दिन के समय रुकावट पड़ती है।


रात्रि पूजा ही शक्तियां प्राप्त करने का साधन है


ऋषि-मुनियों ने दिन की अपेक्षा रात्रि का महत्व ज्यादा बताया है। मंदिरों में घंटे और शंख की आवाज के कंपन से दूर-दूर तक वातावरण कीटाणुओं से रहित हो जाता है। यही रात्रि का तर्कसंगत रहस्य है जो इस वैज्ञानिक तथ्य को ध्यान में रखते हुए रात्रियों में संकल्प और उच्च अवधारणा के साथ अपनी शक्तिशाली विचार तरंगों को वायुमंडल में भेजते हैं, उनकी कार्यसिद्धि अर्थात मनोकामना सिद्धि, उनके शुभ संकल्प के अनुसार उचित समय और ठीक विधि के अनुसार करने पर सिद्धियां शक्तियां अवश्य प्राप्त होती है। दीपावली की अमावस्या पूर्णिमा की रात्रि का महत्व है। मंत्र शक्ति, यंत्र शक्ति, औषधि शक्ति, ध्यान शक्ति, ज्ञान शक्ति, तंत्र शक्ति, काली शक्तियां, गौर शक्तियां, महरु शक्तियां, मसान शक्तियां पांच तत्व को बांधने और जगाने की शक्तियां वशीकरण सम्मोहन मारणउच्टण शक्ति की प्राप्ति के लिए रात्रि पूजा ही विधान है। भारत में हर पर्व हर रीती-रिवाज वैज्ञानिक दृष्टि से खरा है और हमें गर्व है कि हम सब सनातनी धर्म के हैं। आप सभी को नवमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।

You may have missed

ArabicChinese (Simplified)DutchEnglishFrenchGermanGujaratiHindiItalianMalayalamMarathiNepaliPortugueseRussianSpanishUkrainianUrdu

You cannot copy content of this page