म.प्र. सरकार का बड़ा फैसला : सड़क की चौड़ाई तय करेगी लाइसेंस शुल्क, अब वाहनों से व्यापार करने का भी लगेगा शुल्क
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मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज
म.प्र. सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले के बाद नगर निगम, नगर पालिका परिषद या नगर परिषद में सड़क की चौड़ाई या फिर स्थान के आधार पर सरकार लाइसेंस फीस लेगी वहीं वाहनों के माध्यम से व्यापार करने वालों को भी लाइसेंस लेना होगा। गुमटी या कच्ची दुकान वाले भी लाइसेंस की जद में आ गए हैं। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने इसे कानूनी रूप देते हुए नियम बना दिया है। खास बात तो यह है कि यह नियम 21 अप्रैल 2023 से लागू भी हो गया है। नए नियम बनने से सरकार के राजस्व में काफी बढ़ोतरी होगी। हालांकि जनता तक इस नियम की जानकारी अभी पहुंची नहीं है जिससे बवाल जैसी कोई बात आई नहीं है। जैसे-जैसे इस नियम की जानकारी पहुंचेगी संभव है कुछ विरोध भी होगा।
म.प्र. सरकार ने दुकानदारों के लिए जो नियम बनाया है उसके तहत सड़को पर आने वाली दुकानों का लाइसेंस शुल्क सड़क की चौड़ाई देखकर तय किया जाएगा। नियम के अनुसार नगर पालिका निगम की सीमा में 7.5 मीटर से कम तथा 7.5 मीटर तक की सड़क पर 4 रुपये प्रति वर्ग फुट के आधार पर वार्षिक शुल्क लिया जाएगा। नगर पालिका परिषद में यह शुल्क 3 रुपये व नगर परिषद में 2 रुपये प्रति फुट, प्रति वर्ष से यह शुल्क वसूला जाएगा। इसी तरह नगर पालिका निगम में 7.5 मीटर और 15 मीटर के बीच की सड़क पर 5 रुपये प्रति वर्गफुट, प्रति वर्ष का शुल्क होगा। नगर पालिका परिषद में 4 रु. व नगर परिषद में 3 रु. की दर से राशि लगेगी। इसी तरह 15 मीटर से अधिक की सड़क पर 6 रुपये प्रति वर्गफुट, प्रतिवर्ष की दर से नगर निगमें शुल्क वसूलेगी जबकि नगर पालिका परिषद 5 रु. व नगर परिषद 4 रु. की दर से शुल्क लेगी।
मोहल्ले-कॉलोनी में भी देना होगा शुल्क
सरकार ने तय किया है कि मोहल्ले-कॉलोनियों की दुकानों से भी लाइसेंस शुल्क वसूला जाएगा। नगर निगम यहां 4 रु. प्रति वर्गफुट, प्रति साल किराया लेगी। नगर पालिका परिषद 3 रु. व नगर परिषद 2 रु. की दर से पैसा लेगी। छोटे और मध्यम आकार के बाजारों में भी यह राशि वसूली जाएगी। नगर निगम यहां 5 रु. जबकि नगर पालिका परिषद 4 रु. व नगर परिषद 3 रु. की दर से शुल्क वसूल करेगी। बड़े बाजारों में नगर निगम 6 रु. जबकि नगर पालिका परिषद 5 रु. व नगर परिषद 4 रु. की दर से लाइसेंस शुल्क लेगी। इसमें एक महत्वपूर्ण बिंदु सरकार ने यह रखा है कि नगर पालिका निगम अधिकतम 50 हजार रुपये ही वसूल सकती है। ऐसे ही नगर पालिका परिषद 25 हजार व नगर परिषद 15 हजार रु. तक ही अधिकतम फीस ले सकती है। शहर के मॉल व अन्य बड़े क्षेत्रों में लगने वाले बड़े बाजारों पर यह नियम लागू होगा। सरकार ने यहां एक बात यह भी स्पष्ट कर दी है कि लाइसेंस शुल्क हर दो साल में 5 प्रतिशत बढ़ाया जाएगा।
वाहन चालको के लिए नया है शुल्क..हो सकता है विवाद
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राज्य सरकार ने गुमटी या कच्ची दुकान वालों से भी राशि लेना तय किया है। नगर निगम में यह शुल्क 250 रु. होगा जबकि नगर पालिका परिषद में 150 रु. व नगर परिषद में 100 रु. शुल्क लिया जाएगा। वाहन चालकों से भी राज्य सरकार लाइसेंस शुल्क लेगी जो वाहनों के जरिये व्यापार करते हैं। इस तरह के शुल्क का प्रदेशभर में विरोध होने की संभावना है। नियम के तहत मोटरयान (मिनी ट्रक-पिकअप वेन-जीप आदि के संचालक को 400 रु. देना होंगे जो प्रति वाहन, प्रति वर्ष नगर निगम वसूलेगा। नगर पालिका परिषद में 300 रु. व नगर परिषद में 200 रु. चार्ज रहेगा। ऑटो रिक्शा-तिपहिया वाहन आदि से नगर निगम 250 रु. प्रति वाहन, प्रति वर्ष की दर से वसूलेगा जबकि नगर पालिका परिषद 200 रु. व नगर परिषद 150 रु. शुल्क लेगी। ध्यान देने वाली बात यह है कि नियम में सरकार ने यातायात को भी दृष्टिगत रखा है। इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि यातायात को यदि किसी वाहन से अवरोध हो रहा है तो उसका लाइसेंस निरस्त किया जाएगा।
अधिकारी-कर्मचारी दुकान सील भी कर सकेंगे
सरकार ने जो नियम बनाए हैं उसमें नगर निगम से जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों को उसने काफी पॉवर भी दे दिए हैं। नियम के अनुसार संबंधित अधिकारी-कर्मचारी परिसर का निरीक्षण कर सकेगा और जहां उसे अनियमितता दिखी तो वह दुकानदार को नोटिस जारी करेगा। नोटिस का जवाब न मिलने या संतुष्ट नहीं होने पर वह वार्षिक लाइसेंस शुल्क का 50 प्रतिशत या उससे ज्यादा का दंड लगा सकता है। जरूरत पड़ने पर लाइसेंस भी निरस्त कर सकता है। यही नहीं यदि बिना लाइसेंस के व्यापार करने पर संबंधित दुकान सील भी कर सकता है।
व्यापारियों को यह भी जान लेना जरूरी है…
-लाइसेंस की एक प्रति अपनी दुकान या व्यापार वाले स्थान पर लगाना जरूरी है।
-परिसर के सामने फुटपाथ या सार्वजनिक सड़क पर कोई अवरोध अथवा अतिक्रमण नहीं किया जाएगा।
-लाइसेंसी धुएं, गैस, वाष्प, धूल, गंध, शोर या अन्य ऐसी अशुद्धियों द्वारा सभी बाधाओं की रोकथाम के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा यथाअपेक्षित उपायों को अपनाएगा।
-लाइसेंस सिर्फ उसी दुकान या वाहन के नाम पर रहेगा जिसे अंकित किया गया है। यदि अपना स्थान या वाहन बदला गया तो नया लाइसेंस लेना होगा। जिस व्यापार का लाइसेंस लिया गया है उससे अलग यदि व्यापार किया जाएगा तो यह मान्य नहीं होगा। -लाइसेंस जिस तारीख को समाप्त होना है उससे एक माह पहले ही इसके नवीनीकरण की प्रक्रिया की जाए। यदि लाइसेंस का आवेदन व्यापारी ने समय पर कर दिया और लाइसेंस समाप्त होने के 15 दिन बाद भी संबंधित संस्था से नवीनीकरण नहीं होता तो लाइसेंस स्वत: ही बन जाएगा। इसकी फीस ऑनलाइन जमा करना होगी जो चेकिंग के दौरान दिखाई जाना आवश्यक है।