..तब अपर कलेक्टर साहब ने एसडीएम को फोन लगाकर पूछा- ये हमने किसे जिला बदर कर दिया

शिवराजसिंह चौहान सरकार का दूसरा टर्म शुरू हो चुका था। तब भी गुंडों पर नकेल कसने के लिए हर जिला कलेक्टर काम पर लगा था। शिवराज सरकार के एक कद्दावर मंत्री का एक करीबी भी अपने बिजनेस को बढ़ाने में कई ऐसे अपराध कर चुका था जिससे उसके खिलाफ जिला बदर की कार्रवाई की फाइल चल पड़ी थी। इस व्यक्ति का कागजों पर नाम कुछ और था और शहर में उसकी पहचान किसी अन्य नाम से थी। यह फाइल एक बेहतरीन छवि वाले अपर कलेक्टर के पास पहुंचीं जो कुछ समय पहले ही पदस्थ हुए थे। अपर कलेक्टर साहब ने फाइल के आधार पर गुण-दोष देखें और फैसला लिख दिया। इन महाशय को जिला बदर कर दिया गया। अब पारदर्शिता देखिये मंत्री की तरफ से न तो अपर कलेक्टर पर कोई दबाव आया और न ही अपर कलेक्टर ने इन आरोपी महाशय का आगा-पीछा, दाया-बांया देखा। बात जब मीडिया के पास पहुंचीं तो हडकंप मच गया। मंत्री के खास को जिला बदर कर दिया, यही बात चारों तरफ गूंजने लगी। जब इन अपर कलेक्टर से मीडिया ने संबंधित व्यक्ति के शहर में चलित नाम को लेकर जिला बदर होने की बात पूछी तो अपर कलेक्टर ने पहले तो मना कर दिया। जब उन्हें कागजी नाम बताया गया तो उन्होंने सामान्य रूप से कह दिया हां कार्रवाई की है। शुरुआती एक-दो फोन तक तो ठीक है लेकिन जब मीडियावालों से अपर कलेक्टर साहब का मोबाइल बार-बार घनघनाने लगा तब उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने कुछ बड़ा काम कर दिया है। उन्होंने अपने एक एसडीएम को फोन लगाकर पूछा ये हमने किसे जिला बदर कर दिया है। एसडीएम ने जब उन्हें व्यक्ति की असली पहचान बताई तब अपर कलेक्टर साहब को पता चला लेकिन न तो उस मंत्री ने और न ही अपर कलेक्टर ने संबंधित व्यक्ति को लेकर आपस में कोई बात की। आज ये अपर कलेक्टर पदोन्नत होकर काफी बड़े पद पर बैठे हैं और अपनी साफ-स्वच्छ छवि से सरकार की योजनाओं को आमजन तक पहुंचाने में अपनी विशेष भूमिका अदा कर रहे हैं।

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