बचपन में तीनो की अभिन्न मित्रता थी। सारा दिन साथ में खेलना, खाना और पढ़ना। जवान हो कर तीनों अपने अपने काम काज मे लग कर, दूर शहरों में चले गए। दस वर्षों के बाद एक शहर मे तीनों की अचानक मुलाकात हो गई। एक दूसरे के हाल जानने के बाद अपन कार्य क्षेत्र की जानकारी देने लगे। एक ने बताया कि वह शहर मे आकर एक गैंग बनाकर लोगों को धमका कर धार्मिक आयोजन के नाम पर, भंडारे के नाम पर चंदा वसूल कर जीवन चला रहा था। तभी शहर मे दंगे होने पर उसने अपनी गैंग के सहयोग से काफी पैसा लूट मार करके कमा लिया। फिर एक राजनेता से जुड़ गया और पार्टी में उसका कद बढ़ाता गया। आज उस पार्टी की सरकार बनने पर मंत्री बन गया है। पार्टी के सदस्यों पर अपनी गैंग के साथियों और साथ जुड़े अन्य नेताओं का डर बना कर मंत्री पद पर आसीन है, और दल में आगे ही बढ़ता जा रहा है।

दूसरा पढ़ाई में काफी होशियार था। उसने बताया कि शहर आकर मैंने चिकित्सा शास्त्र में उच्च शिक्षा प्राप्त की है। पोस्ट ग्रेजुएट हो कर विशेष योग्यता प्राप्त करने के बाद हमारे साथ के कई डाक्टरों ने आपस मे एक दूसरे से जुड़कर मरीजों का ईलाज करना चालू कर दिया है। एक बार जो मरीज आता है उसको ईमानदारी से सभी साथियों के पास अलग अलग जांच करवाने भेजा जाता है। सभी लोग उसे उसकी बीमारी से डरा कर आपरेशन करवाने की उसकी मानसिकता बनाते है।फिर उसका आपरेशन करके सभी काफी पैसे कमा लेते है। हम काफी हाई सोसाइटी के माने जाते है। इस तरह हमारा जीवन उच्चतर होता जा रहा है।

अब दोनों की नज़र तीसरे साथी पर थी। क्यों आप भी अपने बारे में कुछ बताए।तीसरे ने कहा मेरा काम भी आप लोगो से अलग नहीं है। नेता जी दंगे फसाद, युद्ध, कानून आदि से लोगों को डराकर अपनी रोटी सेक रहे है। मेरे दूसरे मित्र लोगों को अलग अलग बीमारियों का भय बताकर आपरेशन, दवाओं और कमीशन से पैसा कमा रहे है। मै जनता का, उनके सामान का, कार का बीमा और उनका बीमारी का बीमा करता हूं। मुझे भी उनकों चोर, डकैत, दुर्घटना, बीमारी आदि का डर दिखाना पड़ता है। उससे डर कर ही लोग बीमा करवाते है और हमें कमीशन मिलता है। इस तरह से हम भी लोगों को डराकर ही कमा रहे है।और चीन ने तो हम लोगों को गजब का तोफहा दिया है। कोरोना जिससे हम तीनों ही लोगों में डर पैदा करके लाखों रुपये कमा रहे है। तीनो लोग ठहाका मार कर ह॔सने लगे। डर भी क्या चीज है। आस पास खड़े सभी लोग उस ठहाके की आवाज से डर कर एकदम खामोश हो गए।
                          – सुभाष शर्मा

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