केरल से सीखें, पिछली साल आक्सीजन की कमी थी, अब दूसरों को सप्लाय कर रहा
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विहान हिंदुस्तान न्यूज
देश के अधिकांश राज्यों में आक्सीजन की कमी के कारण मरीज जूझ रहे हैं लेकिन केरल राज्य है जहां इसकी समस्या तो दूर यह राज्य अन्य राज्यों को आक्सीजन सप्लाय कर रहा है। पिछले साल केरल ही वह राज्य था जहां देश का पहला कोरोना मरीज सामने आया था और पहली लहर में यहां से कई मरीज निकले थे। इस दूसरी लहर में केरल में मरीज सामने आ तो रहे हैं लेकिन उन्हें गंभीर बीमार होने से पहले ही दवाईयां दी जाना शुरू कर दी जाती है। इसके पीछे वार्ड कमेटियां हैं जिसे पुर्नजीवित किया गया है। कमेटी के सदस्य वार्ड में उन लोगों पर नजर रखते हैं जिन्हें बुखार, सर्दी-खासी हो रही हो। इन्हें तुरंत उपचार देना शुरू कर दिया जाता है। एक सबसे अच्छी बात यह है कि यहां केरल में पूर्णरूप से लॉकडाउन की घोषणा नहीं की गई है। एक सर्वदलीय बैठक में राज्य की सभी पार्टियों ने इस बात पर सहमति जताई कि पूर्ण लॉकडाउन इस समस्या का समाधान नहीं है हालांकि चेन-ब्रेक के लिए सख़्त प्रतिबंध लागू करने पर जरूर सहमति जताई गई।पिछले साल केरल में आक्सीजन की कमी थी लेकिन जब वह कोविड से कुछ उबरा तो उसने अपने आक्सीजन प्लांट्स पर ध्यान देना शुरू किया। एक के बाद एक आक्सीजन प्लांट्स को शुरू किया। केरल में 199 मीट्रिक टन प्रतिदिन आक्सीजन होती है और जरूरत पड़ने पर यह अपनी उत्पादन क्षमता को और बढ़ा भी सकता है। खुद के लिए यानि कोविड केयर के लिए केरल में हर रोज 35 मीट्रिक टन आक्सीजन और नॉन-कोविड केयर के लिए प्रतिदिन 45 मीट्रिक टन आक्सीजन की जरूरत होती है। केरल नियमित रूप से प्रतिदिन 70 मीट्रिक टन आक्सीजन तमिलनाडु को और 16 मीट्रिक टन आक्सीजन कर्नाटक को निर्यात कर रहा है। केरल में आक्सीजन की कमी ना होने का एक बड़ा कारण यह भी है कि यहां मरीजों की संख्या तो है, लेकिन यहां मरीजों को आक्सीजन की आवश्यकता उस तरह से नहीं पड़ रही है, जैसे देश के दूसरे राज्यों में पड़ती देखी जा रही है। देश के कई हिस्सों में मरीज आक्सीजन की कमी के चलते जान तक गंवा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि केरल में कोरोना के मरीज नहीं आ रहे हैं। सोमवार को राज्य में 21 हजार से अधिक कोरोना संक्रमण के मामले आए और 28 लोगों के मौत की पुष्टि की गई। यहीं कारण है कि यहां मेडिकल आक्सीजन की मांग बीते सप्ताह के 73 मीट्रिक टन से बढ़कर 84 मीट्रिक टन हो गई है। केरल कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. मोहम्मद अशील कहते हैं हम शुरूआती स्टेज में ही मामलों की पहचान कर पाने में सक्षम हैं और ऐसे में हम इलाज भी जल्दी शुरू कर पा रहे हैं, इसलिए हर मरीज को आक्सीजन लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ रही है। आशा कार्यकर्ता और पंचायत में चुनकर आए स्थानीय सदस्य केरल में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ हैं।