तीन से चार हफ्ते बाद कोरोना का पीक, तीन गुना ज्यादा नुकसान, असमंजस में सरकार

मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज

भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने सरकार को हिलाकर रख दिया है। देश के हालात देखकर खुद सरकार शर्म से पानी-पानी हो रही है और यही कारण है कि इसपर किसी भी केंद्रीय मंत्री की आवाज तक नहीं निकल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो मानो सदमे में हैं। विशेषज्ञों की माने तो कोरोना की दूसरी लहर का पीक तो अभी आना बाकी है। यह पीक तीन से चार हफ्ते में आएगा यानि मई के मध्य में हालात और बिगड सकते हैं। विशेषज्ञों द्वारा यह कहा जा रहा है कि पीक के दौरान मरीजों की संख्या में तीन गुना तक इजाफा हो सकता है। अब सरकार के सामने असमंजस की स्थिति है कि वह इससे कैसे निपटे। वह लॉकडाउन ही इसका एकमात्र विकल्प तो मान रही है लेकिन आमजन तक मदद पहुंचाने में वह पहले ही खुद को विफल भी मान रही है। बंगाल व अन्य चुनाव में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी लेना भी कोरोना के लिए मनोबल टूटने जैसा ही रहा है क्योंकि कई जगह पैरामेडिकल स्टॉफ सिर्फ इसलिए काम से पीछे हट रहा है क्योंकि सरकार ने खुद ही कोरोना की दूसरी लहर को गंभीरता से नहीं लिया।यह आश्चर्यजनक जरूर है लेकिन कई सरकारी अस्पतालों में ऐसे हालात बनते देखे गए हैं जिसमें कर्मचारी सिर्फ इसलिए दिल लगाकर काम नहीं कर रहे क्योंकि सरकार बंगाल व अन्य जगह खुद बड़ी-बड़ी रैलियां कर रही थी। इन लोगों की नाराजगी इस बात से भी है कि रैलियों में लगे होने के कारण आक्सीजन सहित मेडिकल फेसेलिटिस पर सरकार ध्यान देना भूल गई जिसका परिणाम यह है कि श्मशान और कब्रिस्तान शवों से भरे पड़े हैं। कोरोना वारियर्स काम तो करना चाह रहे हैं लेकिन आक्सीजन जैसी बड़ी जान बचाने वाली सुविधा नहीं होने से वे खुद परेशान हैं। बगैर आक्सीजन के मरीज को बचा पाना नामुमकिन है। मरीज व उनके परिजन के लिए तो फिलहाल यह स्थिति है कि उन्हें बैड व आक्सीजन सिलेंडर मिल गया तो वे कोरोना के खिलाफ पहली जंग जीती हुई मानते हैं। भारत सरकार के लिए राहतभरी खबर ये है कि विश्व के कई देशों ने उसकी मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाएं है जिनमें पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन भी शामिल है। ब्रिटेन ने तो आक्सीजन सिलेंडर और वेंटिलेटर की एक खेप मंगलवार को भारत पहुंचा भी दी। कुछ ब्रिटिश डॉक्टर्स ने तो आनलाइन ही भारत में मरीजों को देखना भी शुरू कर दिया है। भारत में दूसरी लहर के आने की भविष्यवाणी भी विशेषज्ञों ने दी थी लेकिन इस तरफ भारत सरकार ने ध्यान नहीं दिया था। अब पीक को लेकर भी जो बात कही जा रही है उसे देखते हुए किस तरह की तैयारी सरकार करती है उसपर काफी कुछ निर्भर करेगा।

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