राज्य को नहीं मिली वैक्सीन, निजी अस्पताल ले आए..900 से 1250 रु. वसूल रहे

विहान हिंदुस्तान न्यूज

1 मई से देशभर में 18 से 44 साल की उम्र के लोगों को कोरोना वैक्सीन के डोज दिए जाने थे। केंद्र सरकार की तरफ से तो कई जगह डोज लग रहे हैं लेकिन कई राज्य सरकारें इस वैक्सीन प्रोग्राम को शुरू ही नहीं कर पाई। इसके पीछे कारण इन्हें निर्माण कंपनियों से वैक्सीन नहीं मिल पाना है। यह देखा जा रहा है कि कई राज्यों के पास वैक्सीन के डोज नहीं है लेकिन उनके यहां निजी अस्पतालों में वैक्सीन लग रही है खासकर दिल्ली में। निजी अस्पताल संचालक भी इस डोज के लिए 900 से 1250 रुपयों तक की वसूली कर रहे हैं।भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने कोविशील्ड की कीमत निजी अस्पतालों के लिए 600 रुपये प्रति डोज के हिसाब से रखी है यानि 1200 रुपये में दोनों डोज दे दिए जाएंगे। अब ये अस्पताल वैक्सीन खरीदी के साथ अपना मेहनताना लगाकर वैक्सीन लगा रहे हैं। कोई इसमें 300 रुपये कमा रहा है तो कोई सीधे दोगुने भाव में इसे दे रहा है। विहान हिंदुस्तान ने पूर्व में भी इस मुद्दे को उठाया था कि सरकार निजी अस्पतालों में भी वैक्सीन का एक मूल्य तय करें। यदि ऐसा नहीं होगा तो राज्यों को वैक्सीन न मिलते हुए कंपनियां सीधे निजी अस्पतालों को ही वैक्सीन देगी जिसमें उन्हें ज्यादा मुनाफा होगा। राज्य सरकारों को कोवैक्सीन 400 रुपये तो कोविशील्ड 300 रुपये में दी जाना है। बताया जाता है सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला कुछ इन्हीं कारणों से इंग्लैंड चले गए हैं। पूनावाला को यह जवाब देना होगा कि राज्यों से पहले निजी अस्पताल कैसे वैक्सीन लेकर आ रहे हैं? यही प्रश्न के उत्तर भारत बायोटेक के प्रमुख को भी देना होंगे। ये कंपनियां अस्पतालों को दी जाने वाली वैक्सीन की सूची आनलाइन अपनी वेबसाइट पर भी जारी करे जिससे पारदर्शिता बनी रहेगी। यदि सरकार के निर्देशन में देश में वैक्सीन पहुंचाई जाए तो इससे मानिटरिंग ठीक से हो जाएगी और विवाद भी नहीं होंगे।

हर रोज लगाना होंगे 54 लाख टीके तब सालभर में पूरा होगा वैक्सीनेशन

भारत में यदि संपूर्ण वैक्सीनेशन की बात करें तो यह दूर की कौड़ी दिखाई दे रही है। भारत में फिलहाल 45 साल से ऊपर वालों को वैक्सीन लगाई जा रही थी। अभी तक 16 करोड़ डोज लगाए जा चुके हैं। देश में 45 साल से ऊपर वालों की संख्या 44 करोड़ है। उस उम्र वर्ग के लिए अभी भी 72 करोड़ टीके लगना है क्योंकि कुछ लोगों के दो डोज भी पूरे हो चुके हैं। 18 से 44 साल के लोगों की संख्या 62 करोड़ है जिन्हें 124 करोड़ टीकों की जरूरत है। कुल मिलाकर देश में वैक्सीन लगवाने वालों की संख्या देखें तो यह 106 करोड़ होती है। यदि एक साल में पूरे भारत के निवासियों जिनकी उम्र 18 साल से ऊपर है उन्हें टीका लगाने की बात करें तो 54 लाख टीके रोज लगाने होंगे। फिलहाल हमारे देश में 20 से 25 लाख टीके ही रोज लगाए जा रहे हैं। यदि देश की आबादी के 70 प्रतिशत लोगों को भी टीके लगाने हैं तब भी 40 लाख डोज रोज लगाने होंगे। विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है यदि कोरोना पर विजय पाना है तो हर देश को उसकी 70 प्रतिशत आबादी को तो वैक्सीन लगाना ही होगी।

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