बहुत मेहनत के बाद भी भाजपा के लिए कठिन है मिशन कश्मीर


मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज


पश्चिम बंगाल के बाद भाजपा कश्मीर में पिछले कुछ समय से काफी मेहनत कर रही है। यह मेहनत उसकी हर जिले में बदस्तूर जारी है। पश्चिम बंगाल से कश्मीर एकदम अलग है। यदि बंगाल में भाजपाईयों को पिटने की बात आती है तो यहां सीधे गोली मारकर खत्म करने की कोशिश आतंकवादी करते हैं। इतना होने के बाद भी कश्मीर में दो लाख कार्यकर्ताओं को जोड़कर भाजपा अपनी मेहनत को रंग लाने की कोशिश कर रही है।


गरीब परिवारों तक मुफ्त राशन पहुंचाने से लेकर सार्वजनिक समस्याओं को सुलझाने की कवायद इस राष्ट्रीय पार्टी की चल रही है। भाजपा की कश्मीर में घुसपैठ देखकर कुछ राजनीतिक पार्टियों के साथ वहां के रसूखदार भी सकते में है जिसके कारण वे किसी भी तरह भाजपा को रोकना चाहते हैं। आतंकवाद और कुछ राजनीतिक पार्टियों का यहां काफी दोस्ताना रवैया रहा है जिससे भाजपा को रोकने के लिए हथियारों का भी सहारा लिया जा रहा है। वर्तमान समय भाजपा के लिए खास है क्योंकि बंदूकों के सामने यदि उसके कार्यकर्ता झुक गए तो यह पार्टी लंबे समय तक घाटी से बाहर हो जाएगी जिसकी वापसी की संभावना न के बराबर ही रह पाएगी। जम्मू-कश्मीर राज्य से धारा-370 हटाने से नरेंद्र मोदी सरकार ने पूरे विश्व को एक संदेश दिया है कि भारत का कश्मीर पर पूरा हक है। यह संदेश घाटी के ही कुछ लोगों को नहीं भाया है। वे आतंकवादियों की मदद से अब भाजपा को निशाने पर ले रहे हैं। गुलाम रसूल डार एक ऐसे ही भाजपा नेता थे जिनकी दो दिन पहले आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। उनके साथ उनकी पत्नी भी आतंकवादियों की गोली से मारी गई। ऐसा नहीं है कि आतंकवादियों ने पहली बार किसी भाजपा नेता को गोली का निशाना बनाया हो। इससे पहले एक दर्जन से अधिक भाजपाई आतंकवादियों की गोली का निशाना बने हैं। स्थिति यह है कि श्रीनगर के भाजपा कार्यालय पर सेना व पुलिस के जवान लगे रहते हैं। यहां भाजपा ने अपना बैनर तक नहीं लगाया है। इसका कारण आतंकवादियों से बचाव बताया जाता है। एक तरफ श्रीनगर में आतंकवादियों से बचने के लिए भाजपा कार्यालय पर बैनर-पोस्टर-झंडे नहीं लगे हैं उधर, गांव-गांव में पहुंचकर काम करने वाले भाजपाईयों की क्या हालत होती होगी उसे समझा जा सकता है। इतना होने के बावजूद भाजपा यहां अपने कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग बनाने में सफल हुई है जो सराहनी कार्य है।

Munish Sharma Editor in Chief


आतंकवादियों की गोलियों से डरेंगे नहीं
भाजपा आर्गेनाइजेशन जम्मू-कश्मीर व लद्दाख यूनियन टेरेटरी अशोक कौल ने विहान हिंदुस्तान डॉटकॉम से बात करते हुए कहा कि कश्मीर घाटी में ही हम 2 लाख कार्यकर्ता जोड़ चुके हैं। सभी अपनी सेवाएं जनता को दे रहे हैं। आतंकवादियों को भाजपा के आने से भय है जिससे वे हमारे कार्यकर्ताओं को निशाना बना रहे हैं लेकिन हम भी आतंकवादियों की गोलियों से डरने वाले नहीं है। हम आपना काम करते रहेंगे चाहे कुछ भी हो जाए। आपको बता दें कि श्री कौल लगातार श्रीनगर व कश्मीर घाटी के अन्य क्षेत्रों में भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच घूमते रहते हैं और उनका मनोबल बढ़ाते हैं। जनता से भी वे सीधे संवाद करते हैं ताकि उनकी समस्याओं को जानकर अफसरों के माध्यम से सुलझाया जा सके।


कश्मीर में राष्ट्रीय चेहरों की कमी
यह बात देखने में आई है कि भाजपा में राष्ट्रीय स्तर पर छाए चेहरे तो काफी हैं लेकिन वहां जिस तरह के चेहरों की दरकार है उसकी भाजपा के पास काफी कमी है। पार्टी को मुख्तार अब्बास नकवी व सैयद शाहनवाज हुसैन के चेहरों से ही घाटी के मतदाताओं को रिझाना पड़ता है। भाजपा को हिंदूवादी पार्टी के रूप में पहचान मिली थी और उसके आज भी कई चेहरे हिंदूवादी छवि के कारण प्रसिद्ध हुए हैं। अब स्थिति यह है कि इन चेहरों को कश्मीर में भेजा तो पार्टी सुपर फ्लॉप हो जाएगी और पाकिस्तान सहित कई देशों को कश्मीर पर टिप्पणी का मौका मिल जाएगा। यहां भाजपा को सरल व्यक्तित्व वाले नेताओं व कार्यकर्ताओं की जरूरत है जिसकी काफी कमी है। कश्मीर के ही कुछ नेता जिनमें राज्य भाजपा के उपाध्यक्ष सौफी युसूफ व कश्मीर के प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर प्रमुख हैं, वे पार्टी को आगे बढ़ाने का काम तो कर रहे हैं लेकिन उनकी कठिनाईयां अलग हैं। ये पूरी सिक्युरिटी में जनता के बीच जाने को मजबूर हैं क्योंकि आतंकवादियों की हिट लिस्ट में इनके भी नाम हैं। ये तो वो नेता हैं जिन्हें सिक्युरिटी मिली है लेकिन हजारों कार्यकर्ता तो बिना सिक्युरिटी के ही अपने क्षेत्र में निकलने को मजबूर हैं क्योंकि सरकार किस-किस को सिक्युरिटी देगी यह भी सवाल उठता है। आतंकवादी किसी एक भाजपा नेता पर हमला करते हैं तो उसका शौर पूरी घाटी में जाता है जिससे अन्य लोग भाजपा की तरफ आकर्षित होने से हिचकिचाते हैं। कश्मीर घाटी की स्थिति का अंदाजा तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि दो साल पहले धारा 370 व 35ए हटाई गई लेकिन दो लोगों ने ही यहां संपत्ति ख्ररीदने की हिम्मत दिखाई। इसमें से भी एक संपत्ति मालिक की आतंकवादियों ने श्रीनगर में हत्या कर दी। भाजपा के लिए यहां काम करना इसलिए कठिन है क्योंकि उन्हें तो आकंतवादियों से निपटते हुए जनता के पास जाना है। जनता भी यहां अमन शांति चाहती है लेकिन कुछ अलगाववादियों के कारण अभी स्थिति में बदलाव आने में कुछ देरी हो रही है। प्रदेश के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा पूरी कोशिश कर रहे हैं कि घाटी पर्यटकों से दमके लेकिन आगामी एक से दो साल काफी महत्वपूर्ण है।

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