अब शिवराज सरकार आउटसोर्स से रखेगी सरकारी कर्मचारी…भ्रष्टाचार को मिलेगा बढ़ावा

मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज

म.प्र. में शिवराजसिंह चौहान ने नया शिगुफा छोड़ा है। उसने तय किया है कि सरकारी कार्यालयों में रिक्त नियमित पदों पर तत्काल व्यवस्था के लिए कर्मचारी आउटसोर्स किए जाएंगे। फिलहाल फोर्थ क्लास के कर्मचारियों के पदों के लिए राज्य सरकार ने 31 मार्च 2023 को आदेश जारी भी कर दिया है। हालांकि यह भी देखा जा रहा है कि राज्य सरकार ने आदेश 31 मार्च को जारी किए लेकिन कुछ विभाग में इससे एक से दो महीने पहले ही नियुक्ति भी कर ली गई। वैसे शिवराज सरकार का यह आदेश काफी विवादों में रह सकता है क्योंकि इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा ज्यादा मिलेगा और म.प्र. सरकार की बदनामी भी खूब होगी। म.प्र. विधानसभा के पिछले साल हुए मानसून सत्र में इन आउटसोर्स कर्मचारियों ने विधानसभा का घेराव भी करना चाहा था लेकिन पुलिस ने इन्हें रोक दिया था। ये कर्मचारी खुद ठेका पद्धति खत्म करने को लेकर आंदोलन कर रहे थे जिससे समझा जा सकता है कि कंपनियां सरकार की नाक के नीचे इनका कितना शोषण कर रही होगी।

म.प्र. के राज्यपाल के नाम से तथा आदेश से वित्त विभाग ने पत्र जारी किया है। 8 बिंदुओं में जो बात कही गई है उसका मजमून यह है कि अब सरकार अपने विभिन्न विभागों में नियमित पदों पर तत्कालिक आवश्यकता के अनुसार भर्ती करेगी। यह भर्ती नियमित पदों पर जरूर होगी लेकिन तत्कालीक व्यवस्था के अनुसार होगी यानी जिन कर्मचारियों को पद पर रखा जाएगा वे अस्थाई होंगे। जब भी नियमित पद पर भर्ती होगी इन कर्मचारियों की सेवाएं स्वत: ही समाप्त हो जाएगी। बात यहां तक होती तब तक ठीक भी था लेकिन विवाद इस बात का है कि जो अस्थाई रूप से कर्मचारी रखे जाएंगे उनकी भर्ती आउटसोर्स (निजी कंपनियों) से की जाएगी। पहली बात तो यह है कि आउटसोर्स कंपनियों की नियमावली कौन तय करेगा? दूसरी बात यह है कि जिस तरह से ​सरकारी विभागों में सिक्युरिटी गार्ड्स की भर्ती में भ्रष्टाचार होते आए हैं क्या इन कर्मचारियों के साथ वैसा नहीं होगा इसकी क्या गारंटी है? ये कर्मचारी तो सरकारी ​विभागों के अंदर तक पहुंच रखेंगे जिससे माफियाओं की नजर इनपर तुरंत बन जाएगी। यदि कोई आउटसोर्स किया हुआ कर्मचारी रिश्वत लेते हुए खुद पकड़ा गया या किसी अधिकारी ने उसके जरिए रिश्वत ली तब वह पकड़ा गया तो इनकी सजा के लिए क्या लिखित नियम-कानून होगा? आरोप तय करने के दौरान न्यायालय तो हर बिंदु पर बात करती है।

10 हजार रुपये महीना देंगे, हिसाब कंपनी रखेगी

मिली जानकारी के अनुसार आउटसोर्स किए गए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को 10 हजार रुपये महीना दिया जाएगा। यह राशि सरकारी विभाग आउटसोर्सिंग कंपनी के खाते में राशि डालेगी जो इन्हें देगा। सरकार नियम-कानून तो काफी बनाती है लेकिन उसपर अमल हो पा रहा है या नहीं इसे देखना मुनासिब नहीं समझती है। इसके लिए सिक्युरिटी गार्ड के लिए जिन कंपनियों को लाइसेंस दिया गया है उसकी वृहद जांच कराने पर समझा जा सकता है हालांकि यह जांच इसलिए नहीं होगी क्योंकि कई अफसरों की पोल इसमें खुल जाएगी। भविष्य में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के साथ भी कुछ ऐसा ही होना है।

आरक्षित वर्ग का ध्यान भी आउटसोर्स कंपनी रखेगी

नियमों के अनुसार विभाग प्रमुख को भर्ती से पहले निविदा निकालना होगी। जो कम दर पर कर्मचारी उपलब्ध कराएगा उसे विभाग प्रमुख मौका देगा। खास बात तो यह है कि कर्मचारियों का चयन आरक्षण के आधार पर भी किया जाएगा। इसमें भी आउटसोर्स कंपनियां विभाग प्रमुख के साथ मिलकर बड़े खेल कर सकती है। इसमें नाम किसी और का और काम कोई और करे यह भी संभव है। सरकार की इस मंशा पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि वह अस्थाई नियुक्तियों में कोटा कैसे आरक्षित कर रही है। क्या इस भर्ती का उपयोग भी सरकारी नियुक्तियों में आरक्षित वर्ग को नौकरी दिए जाने के लिए उपयोग किया जाएगा यह भी देखना होगा।

ऑडिट विभाग में 7 फरवरी 2023 को ही कर दी भर्ती

राज्य शासन ने आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से भर्ती के लिए आदेश 31 मार्च 2023 को जारी किए लेकिन लोकल फंड ऑडिट विभाग ने 7 फरवरी 2023 को ही 17 कर्मचारियों को आउटसोर्स कर दिया। बताया जा रहा है डॉ. दुबे ने सेवानिवृत्त होने से पहले कम्प्यूटर ऑपरेटर यानी क्लास थ्री के पद भी भर दिए। इस भर्ती पर विभाग की तत्कालीन संचालक डॉ. सुषमा दुबे के हस्ताक्षर हैं। बात यह आ रही है कि डॉ. दुबे ने बिना निविदा आमंत्रित किए और बिना वित्त विभाग की अनुमति लेकर ये पद भर दिए हालांकि इस मामले की जांच में ही सही स्थिति पता चलेगी।

सरकारी आदेशों की प्रतियां

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