प्रधानमंत्री मोदी के साथ शाह-नड्डा की चल रही बैठक, म.प्र. में सीएम चेहरे को लेकर प्रह्लाद पटेल सबसे आगे, रमनसिंह-वसुंधरा के विकल्प पर भी बात

प्रह्लाद पटेल

विहान हिंदुस्तान न्यूज

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कब क्या कर दे यह कहा नहीं जा सकता है। म.प्र., छत्तीसगढ़ व राजस्थान के विधानसभा चुनावों में कई सांसदों-व पदाधिकारियों को उतारने के बाद जो शानदार जीत मिली उससे उत्साहित भाजपा अब तीनों प्रदेशों में नए चेहरे देने की तैयारी कर रही है। इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा आज फिर बैठक कर रहे हैं। कल रात को भी ये इन्हीं बिंदुओं को लेकर बैठे थे। म.प्र. को लेकर यह संकेत मिल रहे हैं कि शिवराजसिंह चौहान को अभी से लोकसभा चुनावों को लेकर कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। ऐसे में प्रह्लाद पटेल को उनका विकल्प बनाने की तैयारी की जा रही है। उनके नाम पर म.प्र. के विधायकों में भी कोई विवाद नहीं होगा। पार्टी आलाकमान चाहता है कि पिछड़े वर्ग से ही कोई विधायक सीएम पद पर बैठे ताकि लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष को कोई नया मुद्दा नहीं मिल सके। वैसे म.प्र. में कैलाश विजयवर्गीय, नरेंद्रसिंह तोमर व ज्योतिरादित्य सिंधिया भी सीएम पद के दावेदार माने जा रहे हैं। एक बात यह भी स्पष्ट है कि तीनों राज्यों में जीत का श्रेय सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया जा रहा है जिससे गुटबाजी को बिल्कुल भी हवा नहीं मिल रही है।

जो जानकारी सामने आ रही है उसमें भाजपा आलाकमान चाहते हैं नई पीढ़ी तैयार की जाए जिससे मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने को लेकर तो बात की ही जा रही है साथ ही मंत्रिमंडल में भी कई नए चेहरों को लाने की तैयारी है। चूंकि म.प्र. में भाजपा ही सत्ता में थी और चुनाव से पहले पार्टी के अंदरूनी सर्वे में एंटी इन्कम्बेंसी के साथ कई अन्य शिकायते भी मिल रही थी। ऐसे में पार्टी ने सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी को राज्यों में भी चेहरा बनाया जिसका असर यह रहा कि एंटी इन्कम्बेंसी की तरफ से मतदाताओं का ध्यान अलग हो गया। अब यदि फिर वहीं मुख्यमंत्री और वे ही मंत्री रहेंगे तो जनता की नाराजगी फिर कुछ दिनों में वापस सामने आ सकती है। एक ही चेहरे आगे रहने से नए लोगों को जनता की सेवा करने मौका भी नहीं मिलता जिसे लेकर भी पार्टी आलाकमान गंभीर चिंतन कर रहा है। मिली जानकारी के अनुसार म.प्र. में पार्टी प्रह्लाद पटेल को सीएम पद देकर एक नई शुरूआत करना चाहती है। पार्टी यह भी चाहती है कि किसी एक व्यक्ति का प्रदेश पर इतना ज्यादा असर न हो जाए ताकि पार्टी उसके पीछे हो जाए। वसुंधरा राजे के विधायकों को घर बुलाने को लेकर भी पार्टी आलाकमान की नाराजगी बताई जा रही है। वैसे वसुंधरा राजे ने पार्टी आलाकमान को बताया कि वे अनुशासित सिपाही हैं और पार्टी से अलग नहीं जा सकती हैं। यही कारण है कि राजस्थान व छत्तीसगढ़ में भी पार्टी नए चेहरों को मौका देना चाहती है। नए चेहरों को लेकर यह बात उठती है कि उन्हें काम का अनुभव नहीं है, ऐसे में पार्टी का यह मानना है कि जो भी मुख्यमंत्री बनता है उसे धीरे-धीरे ही काम का अनुभव आता है। शिवराजसिंह चौहान इसका एक बड़ा उदाहरण है जिन्होंने 18 साल तक सीएम पद पर बने रहने का रिकॉर्ड बनाया है।

फड़नवीस जब काम कर रहे हैं तो फिर अन्य क्यों नहीं…

एक बात यह भी उठ रही है कि किसी नए चेहरे को मुख्यमंत्री बनाएंगे तो फिर शिवराजसिंह चौहान, वसुंधरा राजे सिंधिया और डॉ. रमनसिंह उनके नेतृत्व में कैसे काम कर पाएंगे? इस बात को लेकर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस का उदाहरण दिया जा रहा है। फड़नवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे और वर्तमान में वे उप-मुख्यमंत्री के रूप में काम कर रहे हैं। स्व. बाबूलाल गौर भी मुख्यमंत्री रहने के बाद शिवराजसिंह चौहान के नेतृत्व में मंत्रीमंडल में रहे हैं।

म.प्र. में लाड़ली बहन के मुख्यमंत्री बनने पर भी चर्चा..

यह बात भी आ रही है कि म.प्र. में लाड़ली बहना योजना की कामयाबी से उत्साहित भाजपा म.प्र. में किसी महिला को नेतृत्व सौंपे। इसे लेकर भी बात तो हो रही है लेकिन जानकारी यह आ रही है कि कोई ऐसा चेहरा अब तक हाईकमान के सामने नहीं आया जिसे कमान सौंपकर आगे बड़ा जा सके।

You may have missed

ArabicChinese (Simplified)DutchEnglishFrenchGermanGujaratiHindiItalianMalayalamMarathiNepaliPortugueseRussianSpanishUkrainianUrdu

You cannot copy content of this page