60 साल पहले से ही चीन पैंगोग झील पर बना रहा पुल, 38 हजार वर्ग किमी पर कर रखा है कब्जा

विहान हिंदुस्तान न्यूज.
चीन पैंगोग झील पर 1962 से ही पुल बना रहा है। उसने 38 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा कर रखा है। यह जानकारी सरकार ने लोकसभा में दी। चीन द्वारा पैंगोंग झील पर 1962 से अवैध कब्जे वाले क्षेत्रों में एक पुल का निर्माण किया जा रहा है। विदेश राज्य मंत्री वी ने लोकसभा में यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने इस अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया। शुक्रवार को संसद के निचले सदन में पैंगोंग झील पर एक नए पुल के निर्माण के एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने पुल पर ध्यान दिया है।
उन्होंने बताया, सरकार ने चीन द्वारा पैंगोंग झील पर बनाए जा रहे एक पुल पर ध्यान दिया है। इस पुल का निर्माण उन क्षेत्रों में किया जा रहा है जो 1962 से चीन के अवैध कब्जे में है। भारत सरकार ने इस अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है। सरकार ने कई मौकों पर यह स्पष्ट किया है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग हैं और हम उम्मीद करते हैं कि अन्य देश भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे। भारत सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में चीन द्वारा कुछ स्थानों के नाम बदलने की खबरों को नोट किया है। उन्होंने कहा, यह एक व्यर्थ अभ्यास है जो इस तथ्य को नहीं बदलेगा कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहा है, है और रहेगा।
पिछले छह दशकों से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में भारतीय क्षेत्र के लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर में चीन का अवैध कब्जा जारी है। विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने शुक्रवार को लोकसभा में यह जानकारी दी। मंत्री ने अपने जवाब में यह भी कहा, 1963 में हस्ताक्षरित तथाकथित चीन-पाकिस्तान ‘सीमा समझौते’ के तहत, पाकिस्तान ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जे वाले क्षेत्रों से शक्सगाम घाटी में 5,180 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र को अवैध रूप से चीन को सौंप दिया। बहुजन समाज पार्टी के सांसद श्याम यादव सिंह के सवाल का जवाब देते हुए मुरलीधरन ने कहा, भारत सरकार ने 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान ‘सीमा समझौते’ को कभी मान्यता नहीं दी और लगातार इसे अवैध और अमान्य बताया है।

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