पंकज संघवी और अंतरसिंह दरबार कल भाजपा में होंगे शामिल

पंकज संघवी-अंतरसिंह दरबार

विहान हिंदुस्तान न्यूज

लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा अपने कुनबे में कांग्रेसियों की फौज जमा करने में जुटी हुई है। दल बदलने वाले कार्यकर्ता भाजपा के लिए कितने उपयोगी होंगे इस पर तो संशय है लेकिन यह जरूर है बड़े कुनबे का बड़ा ही महत्व रहता है। भाजपा के कुनबे में इंदौर से कल दो और बड़े नेता पंकज संघवी और अंतरसिंह दरबार जुड़ रहे हैं। ये दोनों शुक्रवार को भोपाल में भाजपा पार्टी कार्यालय में सदस्यता ग्रहण करेंगे। पंकज संघवी ने विहान हिंदुस्तान डॉटकॉम को इस बात की पुष्टि की है।

इंदौर लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने फिर एक बार शंकर लालवानी को अपना उम्मीदवार बनाया है। लालवानी के प्रचार के लिए कांग्रेस में रहे दो बड़े चेहरे अपनी सेवा देने को तैयार हैं। महू चूंकि धार लोकसभा में आता है जिससे अंत​रसिंह दरबार भाजपा प्रत्याशी (धार) सुश्री सावित्री ठाकुर के लिए काफी उपयोगी हो सकते हैं। पुराने भाजपा कार्यकर्ता पंकज संघवी के बारे में बात करें तो अब उनका मन बदल गया है। वे अब अपनी पुरानी पार्टी भाजपा में फिर से ज्वाइन करने जा रहे हैं। कांग्रेस में रहते वे विधानसभा, लोकसभा और महापौर प्रत्याशी का चुनाव लड़ चुके हैं हालांकि उन्हें इन तीनों ही बड़े चुनावों में सफलता नहीं मिल सकी थी। यह बात जरूर है कि उनके रहते कांग्रेस में फंड की दिक्कत नहीं होती थी क्योंकि वे सबसे भारी कार्यकर्ता के रूप में हमेशा खड़े रहते थे। उनके संपर्क काफी तगड़े रहे हैं लेकिन मतदाताओं का आशीर्वाद पाने में वे पीछे रह गए। दूसरी तरफ महू से पूर्व विधायक रहे अंतरसिंह दरबार भी कल भोपाल पहुंचेंगे जहां भाजपा की सदस्यता लेंगे। दरबार ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था हालांकि वो हार गए थे। इससे पहले कांग्रेस के टिकट पर वह विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं और तीन चुनाव हार भी चुके हैं। इस बार निर्दलीय खड़े होने पर उन्हें विश्वास था जनता उन्हें फिर एक बार विधानसभा में भेजेगी लेकिन उनका आंकलन गलत साबित हुआ। संघवी गुजराती समाज से आते हैं जबकि दरबार राजपूत समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं।

कांग्रेस के लिए यह समय अमृत मंथन का है…सवाल विष पीने वाला कौन?

पूरे देश में कांग्रेस छोड़कर जाने वाले नेताओं का तांता लगा हुआ है हालांकि यह बात भी है कि अधिकांश कार्यकर्ता वे ही हैं जो ‘थक’ चुके हैं। भाजपा के चेहरे पर जनता के बीच शान से पहुंचने वाले इस भीड़ में काफी कम है, बस खुद को सांत्वना देना इनका मुख्य लक्ष्य माना जा रहा है। यह बात जरूर है कि कांग्रेस के लिए यह समय अमृत मंथन वाला है। अमृत मंथन करने पर विष भी निकलता है जिसे पीने वाला फिलहाल कांग्रेस में दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहा है। गौर करने वाली बात यह है कि जो युवा कांग्रेस की तरफ आकर्षित होगा उसे कम समय में ऊंचाई तो ज्यादा मिल सकती है लेकिन पार्टी की विचारधारा से वह कितना सेट हो पाता है यह कहा नहीं जा सकता है।  

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