पप्पू-फेंकू मजाकर करते रहे…इधर प्लास्टिक डालकर पेट्रोल निकालने वाली मशीन सचमुच आ गई


विहान हिंदुस्तान न्यूज
देश में पप्पू और फेंकू के बीच की आलू डालकर सोना बनाने वाली द्वंद्व भले ही मजाक के लिए लंबे समय तक चलती रही हो लेकिन अब हमारे वैज्ञानिकों ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया है जो सच है। बिहार में एक मशीन ऐसी लगी है जिसमें प्लास्टिक डालने पर दूसरी तरफ से पेट्रोल या डीजल निकाला जा रहा है। यह पप्पू या फेंकू की बात नहीं सच है और वहां के एक मंत्री ने तो इसका उद्घाटन कर 10 लीटर डीजल भी खरीदा है।
बिहार के मुजफ्फरपुर में ये कमाल किया है संस्था ग्रैविटी एग्रो एंड इनर्जी ने। केंद्र सरकार की पीएमईजीपी योजना के तहत 25 लाख रुपये लोन लेकर इस यूनिट को खोला गया है जो देश में ही नहीं बल्कि विश्व में एकमात्र प्लांट है जो प्लास्टिक से डीजल-पेट्रोल बनाता है। सिर्फ 6 रुपये के प्लास्टिक कचरे से 79 रुपये की कीमत का डीजल-पेट्रोल बन रहा है। जिले के कुढ़नी के खरौना में प्लास्टिक कचरे से फ्यूल यानि पेट्रोल-डीजल बनाने वाली यूनिट का उद्घाटन बिहार के राजस्व व भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने मंगलवार को किया। इस यूनिट से किसानों व नगर निगम को पेट्रोल या डीजल मिलेगा वह भी 70 रुपये लीटर की दर पर। पहले ही दिन 40 किलो प्लास्टिक से 37 लीटर डीजल तैयार किया गया।
ऐसे बनेगा प्लास्टिक से पेट्रोल-डीजल
ग्रैविटी एग्रो एंड इनर्जी के सीईओ आशुतोष मंगलम के अनुसार इस फैक्ट्री में हर रोज दो सौ किलो प्लास्टिक कचरे से 150 लीटर डीजल या फिर 130 लीटर पेट्रोल तैयार होगा। सबसे पहले कचरे को ब्यूटेन में बदला जाएगा। इस प्रक्रिया के बाद ब्यूटेन को आइसो आॅक्टेन में बदला जाएगा। फिर मशीन में ही अलग-अलग दबाव और तापमान से आइसो आॅक्टेन को डीजल या पेट्रोल में बदल दिया जाएगा। 400 डिग्री सेल्सियस तापमान पर डीजल और 800 डिग्री सेल्सियस तापमान पर पेट्रोल बन सकेगा।

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