पत्नी की हर बात पर सिर ऊपर से नीचे उठाने में ही समझदारी है

pati-patni

मुकेश नेमा की व्यंगात्मक कलम से

मुकेश नेमा

हालांकि सौ में से नब्बे पति पिटने लायक़ होते हैं पर पिटती पत्नियां हैं। बहुत से पति तो अपना पति होना तभी मुकम्मल मानते हैं कि वो जब भी मन हो पत्नी को पीट सकें । पत्नियां पिटने को शादी का हिस्सा मानकर पिट जाती है। पतियो को पीटे जाने का रिवाज है नहीं हमारे यहां पर जब वो भी पिटते है खबर बनती है ।
खबर एक ग़ाज़ियाबादी पति के पिटने की है । ये महाशय इसलिये पीटे गये क्योंकि ये चौदह साल से शादीशुदा होने के बावजूद हां कहना नहीं सीख पा सके थे। ये बौड़म आदमी अपनी निजी बीबी के हाथों पिटा। क़ायदे से पिटा। आंखें दिखाने पर मान जाने वाली बात अनसुनी करने पर पिटा । उसके सालो ने इस नेक काम में अपनी बहन का हाथ ब॔टाया और इस तरह अपने भाई होने का फ़र्ज़ पूरा किया ।
अब आइये इस मुद्दे पर कि इस आदमी का पिटना कितना जायज़ था। खबर बताती है कि लॉकडाऊन के कठिन वक्त में इस आदमी ने अपनी बीबी की चाय की मामूली फ़रमाईश को अनदेखा किया। साफ़ तौर पर ना कहा। इस आदमी ने यह सोचने की ज़हमत नहीं उठाई कि ऐसे कर्फ्यू वाले दिनों में बीबी को ना कह कर वह जायेगा कहां। ये बेवकूफ ऐसा करते वक्त इस बड़ी बात को भी नज़रअंदाज़ कर बैठा कि उसकी बीबी राखी के बंधन निभाने वाले पहलवान भाईयो की बहन है ।
और फिर इस आदमी से उसकी बीबी ने अमृत तो मांगा नहीं था। केवल चाय बनाने की फरमाईश की थी उसने। इसे दौड़कर पूरी करने लायक़ बात को टाल देना, अपने आप में बेजा हरकत है। ख़ासकर तब जब आप पिछले पैंतालीस दिनों से पांव फैलाये खटिया पर पड़े हो । बीबी के बनाये तर माल उड़ा रहे हो । और ऐसा करने के अलावा अपनी बीबी की चिड़चिड़ी सास और फूहड़ जेठानी का रोल भी अदा कर रहे हो। ऐसी हरकत करने वाले पति को यदि उसकी पत्नी बेवजह, बिना किसी नोटिस के भी पीट दें तो उसे बुरा नही मानना चाहिये। इस किस्म के पति उस खटारा बजाज स्कूटर की तरह होते है जो बिना झुकाये और लात खाये बिना स्टार्ट नहीं होते । और फिर इस मामले में तो उसे ठोकने पीटने की एक ठोस वजह भी मौजूद है ।
ये भी मुमकिन है कि इस खबर वाला पति पहले भी सामूहिक रूप से कूटा जाता रहा हैं । बहन के बुलाने पर भाईयो का फौरन चले आना, और आते वक्त रस्सियां लेकर आना इस बात का पुख़्ता सबूत है कि ये वाला पति नाफ़रमानी का आदी है और अपनी पत्नी को ना कहने के बाद पीटे जाने से परहेज़ करता है ।
मेरे ख़्याल से उस हर पति को बिना किसी जांच पड़ताल के बेवकूफ मान लिया जाना चाहिये जो अपनी बीबी को ना कहता हो । बेवकूफ लातों के भूत होते है । अकलमंद लोग बेवक़ूफ़ों को समझाने में वक्त ज़ाया नहीं करते । वे फौरन अपना जूता उतारते हैं और समझाने का काम उसे सौंप देते है । वैसे इस मामले में जूते की जगह रस्सियों का इस्तेमाल किया जाना यह बताता है कि अभी हमारे देश में सालो ने जीजा का लिहाज़ करना छोडा नहीं है ।
पिटने लायक़ होने के बावजूद पति कम ही पिटे जाते है हमारे यहां। जो पिटते है चुप्पी साध लेते है । पिट जाने की खबर फैल जाना पिट जाने से भी ज़्यादा बुरा है। ये बंदा नया नया पिटा या पिटते पिटते थक चुका था । पिटने का विधान नहीं जानता था। जानता होता तो सावधान रहता। एफ आई आर करने की बेवक़ूफ़ी ना करता । सालो को शुक्रिया कहता । आगे गलती ना करने का आश्वासन देता और चाय पिला कर ही भेजता ।
ख़ैर ये ग़ाज़ियाबादी पति तो पिट चुके । यदि आप ऐसी किसी खबर का हिस्सा नहीं होना चाहते तो चाय बनाना सीख लें । यह बात हमेशा याद रखें कि पत्नी की कही हर बात पर सर को ऊपर से नीचे हिलाने में ही समझदारी है ।

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