डिप्टी कलेक्टर प्रियंका चौरसिया को डीपीसी पद की कमान देकर कलेक्टर ने तोड़ा शिक्षा माफियाओं का ब्रिज
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विहान हिंदुस्तान न्यूज
सर्व शिक्षा अभियान के तहत आने वाला जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) का पद काफी महत्वपूर्ण होता है। इंदौर में इस पद पर लंबे समय से बैठे अक्षयसिंह राठौर को शिक्षा माफियाओं को फायदा पहुंचाने के एक मामले में आपराधिक प्रकरण का सामना करना पड़ा जिससे उन्हें पद से हटाने के साथ निलंबित भी कर दिया है। अब इस पद पर कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी ने डिप्टी कलेक्टर प्रियंका चौरसिया को दायित्व सौंप दिया जो बड़ा निर्णय माना जा रहा है।
असल में अक्षयसिंह राठौर के हटने के बाद शिक्षा विभाग में बैठे कई प्राचार्य इस पद को पाने के लिए लालायित थे। इनमें से कुछ तो भ्रष्टाचार के मामले में सीधे-सीधे शिकंजे में आ चुके हैं लेकिन किन्हीं बड़े अधिकारियों का दुरुपयोग कर ये किसी तरह बच गए। ऐसा नहीं है कि इन्हें क्लिन चिट मिल गई बल्कि दोषी पाए जाने के बाद भी ये पद पर बने हैं। हालांकि इसके पीछे वरिष्ठ अधिकारियों की साफ-साफ गलती भी सामने आई है और यदि उनपर कार्रवाई होगी तो ये भ्रष्ट प्राचार्य भी घेरे में आएंगे। बात यदि डीपीसी के पद को लेकर करें तो यह शिक्षा माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए बड़ा पद है। कलेक्टर ने डिप्टी कलेक्टर प्रियंका चौरसिया को बैठाकर इस ब्रिज को तोड़ने की शुरुआत की है। खास बात तो यह है कि इस पद पर बैठने वाला अधिकारी छात्रों के लिए होस्टल के प्रमुख भी होते हैं। इन होस्टलों में बड़े भ्रष्टाचार की बाते भी समय-समय पर सामने आती रही है। इंदौर जिले के शिक्षा क्षेत्र में सरकारी पदों पर पिछले काफी समय से कुछ अधिकारी जमे हुए थे या अभी भी जमे हैं। इन अधिकारियों के कार्यकाल की जांच होगी तो कई मामले सामने आ जाएंगे। कलेक्टर से अब यह भी उम्मीद की जा रही है कि वे इन जमें हुए अधिकारियों को लेकर भी पड़ताल करें ताकि जिले की शिक्षा व्यवस्था सुचारू रूप से चले और सरकार की सुविधाओं का बच्चों को लाभ मिले। डीपीसी का पद सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुंचाने के लिए बनाया गया था। कक्षा पहली से 8वीं तक के बच्चों को किताब व ड्रेस उपलब्ध कराने से लेकर कई अन्य कार्यों को डीपीसी पद पर बैठे अधिकारी संचालित करते हैं। यहां पोस्टर-बैनर से लेकर परीक्षा प्रश्न पत्र की छपाई तक के अनेकों-अनेक काम रहते हैं जिसके चलते भ्रष्ट प्राचार्य यहां बैठना चाहते हैं।
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