अब इन सहायक प्राध्यापकों को भी मिलेगा पुरानी पेंशन योजना का लाभ!
विहान हिंदुस्तान न्यूज
सरकार ने 2005 के बाद पुरानी पेंशन योजना (सामान्य भविष्य निधि) समाप्त कर दी थी। उसके बाद लगे कर्मचारियों को नई पेंशन योजना जो अंशदायी पेंशन योजना कहलाती है, का लाभ दिया जा रहा है। हालांकि नई पेंशन योजना से कर्मचारी खुश नहीं है क्योंकि इसमें कई बिंदुओं पर लाभ नहीं है। वर्ष 2003 में एमपी पीएससी द्वारा विज्ञापन जारी कर जिन सहायक प्राध्यापकों का चयन किया गया था उसमें चयन तो सभी का एक साथ हुआ था लेकिन पोस्टिंग के समय के अनुसार कुछ को पुरानी तो कुछ को नई पेंशन योजना के तहत जगह मिल सकी। बताया जा रहा है मध्यप्रदेश सरकार का उच्च शिक्षा विभाग उन सहायक प्राध्यापकों को भी पुरानी पेंशन योजना में ला रहा है जिनकी पदस्थापना में देरी के कारण पेंशन योजना ही बदल गई थी।
उच्च शिक्षा विभाग ने सभी शासकीय कॉलेजों के प्राचार्यों को पत्र जारी किया है जिसमें उसने यह जानकारी मांगी है कि वर्ष 2003 के विज्ञापन के आधार पर कितने सहायक प्राध्यापकों को नई पेंशन योजना में रखा गया है? इन सभी के नाम विभाग को भेजने के लिए तत्काल प्रभाव से कहा गया है। पिछले काफी समय से ये सहायक प्राध्यापक सरकार के समक्ष इस बात को उठा रहे थे कि उनकी पदस्थापना देर से हुई तो इसमें उनकी क्या गलती है? इसलिए उन्हें भी पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाए जो उनकी बैच के अन्य साथियों को मिल रहा है। प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव भी इन सहायक प्राध्यापकों की बात से सहमत हुए थे और उन्हीं के द्वारा मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के समक्ष यह बात रखी गई थी। संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही इन सहायक प्राध्यापकों को भी पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलने लगेगा।
यह था मामला
एमपी पीएससी ने वर्ष 2003 में सहायक प्राध्यापकों की भर्ती के लिए एक विज्ञापन जारी किया था। इस विज्ञापन के आधार पर सहायक प्राध्यापकों की चयन सूची 2004 में जारी हुई थी। इसमें कुछ चयनित उम्मीदवारों को 31 दिसंबर 2005 के पूर्व पदस्थापना मिल गई थी जिन्हें पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है। जो बच गए थे उन्हें जनवरी 2006 में या इसके बाद पदस्थापना मिली जिससे इन्हें नई पेंशन योजना में ले लिया गया। जनवरी 2006 या इसके बाद की पदस्थापना वाले सहायक प्राध्यापकों का कहना है कि जब चयन सभी का एक साथ हुआ तो फिर पेंशन योजना का लाभ भी सभी को एक जैसा मिलना चाहिए।