यह क्षण आलौकिक है, अब रामलला टेंट में नहीं रहेंगे, हम भगवान राम से क्षमा मांगते हैं – नरेंद्र मोदी
विहान हिंदुस्तान न्यूज
सदियों की प्रतिक्षा के बाद आज हमारे राम आ गए हैं। इस शुभ घड़ी की आप सभी को बहुत-बहुत बधाई। मैं अभी गर्भगृह में ईश्वर का साक्षी बनकर आया हूं। मैं अभी भी उस पल में लीन हूं। हमारे रामलला अब टेंट में नहीं रहेंगे। वे अब दिव्य मंदिर में रहेंगे। 22 जनवरी 2024 का यह सूरज अद्भुद आभा लेकर आया है, यह कैलेंडर पर लिखी तारीख नहीं, यह एक नए काल चक्र का उद्गम है। मैं आज प्रभु श्रीराम से क्षमा याचना भी करता हूं। हमारे त्याग-तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी कि हम इतनी सदी तक ये कार्य कर नहीं पाए। आज वह कमी पूरी हुई है। मुझे विश्वास है प्रभु राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे। उस कालखंड में तो वह वियोग 14 साल का था लेकिन इस युग में तो कई सालों तक यह वियोग देखा है। राम सभी के हैं।
अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करने के बाद ये शब्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के थे। उन्होंने कहा राम मंदिर के भूमिपूजन के बाद से प्रतिदिन पूरे देश में उमंग और उत्साह बढ़ता ही जा रहा था। निर्माण कार्य देख देशवासियों में हर दिन एक नया विश्वास पैदा हो रहा था। आज हमें सदियों के उस धैर्य को धरोहर मिला है। आज हमें राम का मंदिर मिला है। गुलामी की मानसिकता को तोड़कर उठ खड़ा हुआ राष्ट्र, ऐसे ही नव-इतिहास का सृजन करता है। आज से हजार साल बाद भी लोग आज की तारीख की, आज के पल की चर्चा करेंगे। ..और ये कितनी बड़ी राम कृपा है कि हम सब इस पल को जी रहे हैं, इसे साक्षात घटित होते देख रहे हैं। आज दिन, दिशाएं सभी दिव्यता से परिपूर्ण है। यह समय सामान्य समय नहीं है यह काल के चक्र पर सर्वकालिक अमीट स्मृति रेखाएं है। हम सब जानते हैं कि जहां राम का काम होता है वहां पवनपुत्र हनुमान अवश्य विराजमान होते हैं। मैं रामभक्त हनुमान को भी प्रणाम करता हूं। सीता मां, लक्ष्मण, भरत, शत्रुद्धन को भी नमन करता हूं। पावन अयोध्या, पावन सरयू को भी प्रणाम करता हूं। मैं इस पल देवीय अनुभव कर रहा हूं जिनके कारण ये काम हो रहा है। अपने उद्बोधन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा मैं आप सभी का स्वागत करता हूं, यह राष्ट्र मंदिर है, निसंदेह। श्री रामलला विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा राष्ट्रीय गौरव का ऐतिहासिक अवसर है। उन्होंने कहा हमें संतोष है कि मंदिर वहीं बना है जहां बनाने की सौगंध ली थी। 500 वर्षों से सुदीर्घ अंतराल के बाद आए प्रभु श्री रामलला के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक और अत्यंत पावन अवसर पर आज पूरा भारत भाव-विभोर और भाव विह्वल है। श्री अवधपुरी में श्री रामलला का विराजमान भारत में रामराज्य की स्थापना की उद्घोषणा है।