भगवान राम दिलाएंगे म.प्र. के सरकारी कर्मचारियों को 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता!
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मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज
कर्ज के बोझ तले दबे म.प्र. में आगे कैसे काम होगा इसे लेकर काफी प्रतिक्रियाएं आ रही है। नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को काफी सोच-समझकर पैसा खर्च करना पड़ रहा है। एक तरफ जेब की हालत खस्ता होना उसपर से बड़ा लक्ष्य लोकसभा चुनाव में भाजपा को प्रदेश की सभी 29 सीटे दिलाना डॉ. मोहन यादव के लिए काफी कठिन काम है। प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की बात करें तो ये अभी नाराज है क्योंकि केंद्र के कर्मचारियों से उन्हें 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता (डीए) कम मिल रहा है। सूचना आ रही है जल्द ही यह गुस्सा ठंडा हो जाएगा। म.प्र. के कर्मचारियों को संभवत: 22 जनवरी को या इसी माह में 4 प्रतिशत डीए की बढ़ोतरी के आदेश मिल जाएंगे। अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है और इसकी खुशी में सरकारी कर्मचारियों को डीए की सौगात दी जा सकती है। छत्तीसगढ़ में भी लगभग यही तैयारी है।
केंद्र सरकार या कहें मोदी सरकार ने अपने कर्मचारियों को 1 जुलाई 2023 से 4 प्रतिशत डीए बढ़ाकर देना शुरू कर दिया है। फिलहाल केंद्र सरकार के कर्मचारियों को डीए 46 प्रतिशत है जबकि म.प्र. के कर्मचारियों को 42 प्रतिशत डीए ही मिल रहा है। 38 प्रतिशत से 42 प्रतिशत डीए करने के दौरान भी म.प्र. की तत्कालीन शिवराज सरकार को तीन किश्तों का सहारा लेना पड़ा था। अगस्त में जो आदेश जारी किए गए थे उसमें तीन किश्तों का ही जिक्र था। अब डॉ. मोहन यादव की सरकार है और म.प्र. के कर्मचारियों का डीए बढ़ाने का प्रस्ताव वित्त विभाग से सीएम की टेबल पर पहुंच गया है। माना जा रहा है अगले सात दिनों में कर्मचारियों को केंद्र की बराबरी (डीए में) करने का मौका मिल सकता है।
…वेतन भत्तों की बढ़ोतरी पर बात नहीं
यह देखने में आया है कि म.प्र. सरकार अपने कर्मचारियों के लिए वेतन भत्तों को अपडेट करने की कभी बात नहीं कर रही। जो हालत प्रदेश सरकार के खजाने के है उससे तो यही लग रहा है कि इस साल भी भत्ते जस के तस रहेंगे। सातवें वेतनमान की सिफारिशें तो म.प्र. सरकार ने 2018 में लागू कर दी थी लेकिन वेतन भत्तों में कोई बदलाव नहीं किया गया था। कर्मचारियों को करीब 44 प्रकार के वेतन भत्ते मिलते हैं जिसमें मकान भत्ता, वाहन भत्ता, चिकित्सा भत्ता, मृत्यु के बाद मिलने वाली राशि आदि शामिल है। साल 2012 में मृत्यु के बाद कर्मचारी के परिवार को जो 50 हजार रु. दिए जाते थे वही राशि 12 साल बाद भी दी जा रही है। कर्मचारी संगठन लगातार मांग भी कर रहे हैं लेकिन सरकार इसे बढ़ाने पर ध्यान देने की बात तो छोड़ दो नजर भी नहीं दौड़ा रही है।
‘लाड़लिड़यों’ के पीछे वेतन रूकने की स्थिति तो नहीं…
कर्मचारियों के मन में एक शंका यह गहराने लगी है कि म.प्र. सरकार लोकसभा चुनाव के बाद उनके वेतन की तारीख में बदलाव कर सकती है। अभी कर्मचारियों को माह की 1 से 10 तारीख के बीच भुगतान हो ही जाता है लेकिन राज्य शासन पर बड़ रहा विभिन्न ‘लाड़लियों’ का भार अब कर्ज की सीमा को भी लांघने के करीब आ गया है। ऐसे में कर्मचारियों के मन में भय है कि सरकार उनके वेतन को ही उधारी में न डाल दे।