मेरठ के मुस्लिम कारीगर बनाते हैं जम्मू-कश्मीर के रावण
![](https://www.vihanhindustan.com/wp-content/uploads/2022/10/रावण-1024x768.jpg)
जम्मू से मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज
जम्मू का गीता भवन परेड स्थल इन दिनों कई रावण, मेघनाथ और कुंभकर्णों से भरा पड़ा है। यहां कारीगर इन पुतलों को अंतिम रूप दे रहे हैं। करीब 50 कारीगर उत्तरप्रदेश के मेरठ से यहां आए हैं जो रावण बना-बनाकर जम्मू ही नहीं बल्कि कश्मीर के अलग-अलग बेल्ट में भेज रहे हैं। खास बात तो यह है कि ये कारीगर मुस्लिम है जो पिछले 37 सालों से यहां आकर रावण व लंका बना रहे हैं।
![](https://www.vihanhindustan.com/wp-content/uploads/2022/10/मो.रेहान-768x1024.jpg)
गीत भवन परेड स्थल पर जैसे ही आप अंदर घुसते हैं आपको गत्तों व लकडि़यों से बने अलग-अलग चेहरे दिखाई देते हैं। करीब 50 कारीगर मिलकर इन्हें अंतिम रूप दे रहे हैं। ये कारीगर मो. रेहान ठेकेदार के हैं जो मेरठ से हर साल सितंबर की शुरुआत में जम्मू पहुंच जाते हैं और रावण-लंका बनाने के काम में जुट जाते हैं। मो. रेहान के पिता सिराजुद्दीन ने जम्मू आकर यह काम पहली बार शुरू किया। करीब 37 साल पहले उन्हें रावण व लंका बनाने के लिए बुलाया गया था तब से साल दर साल उनके ही परिवार को यहां बुलाया जाता है। श्री सनातन धर्म सभा जम्मू से इस परिवार का जुड़ाव ही रावण के कारण हो गया। इस प्रतिनिधि से बात करते हुए मो. रेहान ने बताया अब मेरा जंवाई मो. गयासुद्दीन पूरा काम देख रहा है। मो. गयासुद्दीन ने बताया कि हम लोग लगभग 65 पुतले तैयार कर रहे हैं जिसमें रावण, कुंभकर्ण, मेघनाथ शामिल हैं। गीता भवन परेड स्थल के लिए 60 फीट का रावण, 55 फीट का कुंभकर्ण व 50 फीट का मेघनाथ तैयार किया जा रहा है। हमने श्रीनगर व लेह भी रावण भेजे हैं। श्रीनगर में आर्मी वालों के लिए हमने ही रावण तैयार करके भेजा है। कोरोना काल के बाद क्या फर्क पड़ा इस बात को लेकर मो. गयासुद्दीन का कहना है कि पहले जहां रावण, कुंभकर्ण, मेघनाथ जहां आर्डर पर बनाए जाते थे वहां कुछ स्थानों पर सिर्फ रावण ही मांगा जा रहा है। कुछ नए स्थान जैसे नगरोटा, किश्तवाड़ में रावण दहन की शुरुआत हो गई है। मेरठ से यहां आकर कैसे काम करते हैं तो मो. गयासुद्दीन ने बताया कि उनके साथ 15 मुस्लिम व 35 हिंदू कारीगर हैं। ये सभी मेरठ या आसपास के हैं जो अन्य क्षेत्रों जैसे मिस्त्री, मजदूरी, ठेकेदारी आदि काम करते हैं लेकिन रावण दहन के एक माह पहले ये हमारे साथ यहां आ जाते हैं। मेरठ से एक ट्रक भरकर हम सामान लाए जिससे रावण या अन्य निर्माण किया जा रहा है। जैसे ही दशहरे का काम हो जाएगा हम जम्मू से वापस मेरठ चले जाएंगे। यह हमारा पुश्तैनी काम हो गया है जिसे हम आगे बढ़ाए रखना चाहते हैं।
बम लगाने का काम आयोजन समिति करती है
जब रावण निर्माण करने वालों से प्रतिनिधि ने पूछा कि रावण पहुंचाने का काम व बम लगाने का काम कैसे होता है तो मो. गयासुद्दीन का कहना था हम जम्मू में रावण अलग-अलग हिस्सों में तैयार करते हैं। फिर यहां से हमारे दो व्यक्ति मौके पर जाकर रावण खड़ा कर देते हैं। रावण में बम लगाने का काम आयोजकों का ही होता है जिसकी जिम्मेदारी उन्हीं की होती है।
![](https://www.vihanhindustan.com/wp-content/uploads/2022/10/जंवाई-मो.-गयासुद्दीन-768x1024.jpg)