डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक की सबसे कमजोर स्थिति में पहुंचा, .64% गिरकर 83.68 पर पहुंचा
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मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज
भारत का रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अब तक की सबसे कमजोर स्थिति में पहुंच गया है। कल रात को रुपया .64% गिरा जिसने देश की आर्थिक स्थिति को गंभीर संकेत दे दिए हैं। एक साथ आधा प्रतिशत से ज्यादा रुपये का गिरना भी आर्थिक क्षेत्र में अच्छा नहीं माना जाता है। फिलहाल एक डॉलर के मुकाबले रुपया 83.68 की स्थिति में पहुंच गया है।
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देश में अप्रैल से जून तक लोकसभा चुनाव होना है। इस राजनीतिक उठापटक के बीच रुपये का एक साथ इतना कमजोर होकर अपने रिकॉर्ड नीचले स्तर पर पहुंचना गंभीर संकेत दे रहा है। रुपया कमजोर होने से देश पर कर्ज की राशि और बढ़ेगी। यदि हम चालू वित्त विर्ष 2023-24 की अप्रैल-नवंबर की समयावधि को देखें तो निर्यात 6.51 प्रतिशत से घटकर 278.8 अरब डॉलर का रहा है। इसी अवधि में यदि आयात की स्थिति देखें तो यह 8.67 प्रतिशत गिरा जो 445.15 अरब डॉलर रहा, यानी विदेश से सामान बुलाने पर हमें ज्यादा पैसा खर्च करना होगा जिससे मंहगाई और बढ़ेगी। माना जा रहा है रुपये का मूल्य गिरने से शेयर बाजार पर भी असर आएगा। संभव है अगले हफ्ते मार्केट में काफी उतार-चढ़ाव रहे। माना जा रहा है सोना व चांदी के भाव अब और बढ़ेंगे। देश में सबसे ज्यादा आयात तेल का होता है जिससे पेट्रोल-डीजल के मूल्य पर भी इसका असर होगा।
देश का पैसा बाहर भेजे जाने से असर…
शेयर फाइनेंशियल कन्सलटेंट राजेश पांडे (आनंद राठी कंपनी) ने विहान हिंदुस्तान डॉटकॉम से बात करते हुआ कहा कि देश से पैसा बाहर भेजे जाने के कारण रुपये का मू्ल्य गिर रहा है। संभावना है रुपया अभी और गिर सकता है। अगले सप्ताह मार्केट खुलते ही रुपये की स्थिति और ज्यादा विपरीत हो सकती है।
10 साल पहले रुपया 59.28 पर था…
30 मई 2014 को एक डॉलर की कीमत 59.28 रु. थी। मई 2014 में ही एनडीए गठबंधन की सरकार ने सत्ता हासिल की थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने थे। जनता को उम्मीद थी कि डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होगा जिससे देश के आर्थिक विकास की गति और बढ़ेगी लेकिन ऐसा नहीं हो सका है। असल में देश में जो विदेशी लोन होता है वह भी सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान करता है। रुपया गिरने और डॉलर मजबूत होने से स्वत: ही लोन का भार बढ़ जाता है। 2023 में भारत पर विदेशी कर्ज 50 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का हो गया है। 2014-15 में भारत पर विदेशी कर्ज 31 लाख करोड़ रुपये था। साल 2014 में भारत पर कुल कर्ज 55 लाख करोड़ रुपये था जो सितंबर 2023 तक बढ़कर 205 लाख करोड़ रुपये हो गया है।