रमजान के दौरान मस्जिदों में नहीं होगा इफ्तार, लाउडस्पीकर बजाने पर भी पाबंदी, एतकाफ करने वालों पर भी रहेगी नजर

सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान

विहान हिंदुस्तान न्यूज

रमजान का पवित्र महीना कुछ ही दिनों में शुरू होने वाला है। इस बार रमजान में मस्जिदों के अंदर रोजा इफ्तार नहीं करने के साथ लाउडस्पीकर बजाने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। यही नहीं एतकाफ एक इस्लामिक प्रथा है जिसे करने वालों पर भी नजर रखी जाएगी।

यह सभी पढ़कर कई लोगों के मन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिक्चर आ रही होगी लेकिन ये आदेश भारत सरकार ने नहीं बल्कि सऊदी अरब सरकार ने निकाले हैं। रमजान के महीने में सऊदी अरब सरकार ने अपने यहां कुछ इस तरह के नियम-शर्ते लगा दी है जिसका विरोध भी शुरू हो गया है। रमजान के दौरान विश्वभर से श्रद्धालु सऊदी अरब पहुंचते हैं। सऊदी अरब के इस्लामिक मामलों के मंत्री शेख डॉ. अब्दुल लतीफ बिन अब्दुल अजीज ने सरकार के दिशानिर्देश जारी किए हैं। जो दिशानिर्देश जारी किए गए हैं उसमें मुख्य रूप से मस्जिदों के अंदर कोई इफ्तार नहीं होगा। यह इफ्तार मस्जिद के बाहर अहाते में किया जा सकता है। लाउडस्पीकर बजाने के साथ ही नमाज के ब्रॉडकास्ट करने और बिना आईडी के एतकाफ में बैठने पर भी पाबंदी लगाई गई है। एतकाफ के दौरान रमजान के अंतिम 10 दिन ये नमाजी खुद को अन्य से अलग कर लेते हैं। सरकार का कहना है कि एतकाफ करने वालों पर भी नजर रखी जाएं। सरकार ने इमाम को साफ दिशानिर्देश दिया है कि जब तक अत्यंत जरूरी न हो वो अनुपस्थित नहीं हो सकते हैं। इसके अलावा मंत्रालय में चंदा इकट्टा करके इफ्तार करने पर भी रोक लगा दी है। मस्जिदों में बच्चों को लाने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। सरकार का मानना है कि बच्चों के आने से इबादद करने वालों को परेशानी होती है।

इस पूरे मामले पर विश्वभर के मुसलमानों की कड़ी प्रतिक्रिया आना शुरू हो गई है। आरोप ये लग रहे हैं कि सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान इन प्रतिबंधों के माध्यम से ट्यूनिशिया के पूर्व तानाशाह जीन अल अबिदीन और पूर्व सोवियत संघ की तर्ज पर सार्वजनिक जीवन में इस्लाम के प्रभाव को कम करना चाहते हैं। उधर, सऊदी अरब के इस्लामिक मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल्ला अल एनेजी ने एक चैनल के साथ इंटरव्यू में इन आरोपों को खारिज कर दिया है। एनेजी का कहना है मंत्रालय मस्जिदों में इफ्तार से नहीं रोक रहा है बल्कि इसे व्यवस्थित कर रहा है। इससे एक जिम्मेदार व्यक्ति इसका आयोजन करे। इससे मस्जिद की पवित्रता और स्वच्छता को बनाएं रखना आसान होगा।

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