सऊदी अरब को मदद जारी रखेगी बाइडेन सरकार

पत्रकार जमाल खगोशी की हत्या में सऊदी अरब का हाथ होने की रिपोर्ट भले ही अमेरिका ने जारी की हो लेकिन इससे सऊदी अरब व अमेरिका के रिश्ते कमजोर नहीं होंगे। मिली जानकारी के अनुसार जो बाइडेन सऊदी प्रिंस सलमान के बढ़ते कद को कम जरूर करना चाहते हैं लेकिन उन्हें समाप्त करने की कूटनीति से यह महाशक्ति दूरी बनाकर रखेगी। तुर्की व ईरान की आंखों में प्रिंस काफी चूभ रहे हैं जिससे ये दोनों देश वहां नया शासक खड़ा करने को लेकर योजनाबद्ध हैं।

तुर्की मुसलमान देशों का नया लीडर बनना चाहता है जिसकी भूमिका में अब तक सऊदी अरब है। यहीं कारण है कि सुन्नी बहुल तुर्की ने शियाओं के देश ईरान से भी हाथ मिलाने में कसर नहीं छोड़ी है। सऊदी अरब ने यहूदियों के देश इजरायल से हाथ मिलाया तो तुर्की भी पीछे नहीं रहा और वह भी इजरायल से राजनीतिक संबंध स्थापित करके बैठ गया। अमेरिका के पिछले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी प्रिंस का काफी साथ दिया जिसके कारण सऊदी अरब को ईरान जैसे देश से लड़ने में भी दिक्कत नहीं हुई। ईरान ने सऊदी के कुछ जहाजों को निशाना बनाया तो अमेरिका ने ईरान पर समय-समय पर अपनी तरह से हमले किए। जो बाइडेन ने पद संभालते ही ईरान व तुर्की को लेकर कुछ नरमी बरती तो सऊदी प्रिंस को नजरअंदाज कर उनके पिता से फोन पर बात की। यह बाइडेन की कूटनीति का हिस्सा था लेकिन सऊदी को भी पता है अमेरिका की अपनी रणनीति है जिसे बाइडेन एकदम बदल नहीं पाएंगे। यहीं कारण है कि सऊदी प्रिंस सलमान चुप्पी साधकर बैठे रहे और अब अमेरिकी सरकार खुद उनकी चिंता करने में लग रही है। अमेरिका सऊदी अरब से संबंध बिगाड़ना नहीं चाहेगा क्योंकि उसे पता है तुर्की कभी भी बदल सकता है। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन का कभी भी तख्तापलट हो सकता है इसलिए अमेरिका भी ज्यादा नजदीकी नहीं बनाएगा। तुर्की-ईरान के गहराते रिश्ते से इजरायल भी नाराज होगा क्योंकि ईरान से इजरायल के संबंध काफी खराब हैं। ऐसे में अमेरिका पहली प्राथमिकता इजरायल को ही देगा।  

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