स्कूली शिक्षा और वित्त विभाग में विवाद से हजारों शिक्षक परेशान, जो स्कूली शिक्षा विभाग आदेश जारी करता है उसे वित्त मानने को तैयार नहीं
स्कूली शिक्षा विभाग और वित्त विभाग के बीच तालमेल नहीं होने का खामियाजा हजारों शिक्षक भुगत रहे हैं। जिस आदेश को स्कूली शिक्षा विभाग निकालता है उसे वित्त विभाग मानने से इंकार कर देता है। इससे सीधा-सीधा आर्थिक नुकसान शिक्षकों को पड़ रहा है और कई बार तो उन्हें न्यायालय की भी शरण लेना पड़ रही है। विशेष बात यह है कि न्यायालय के आदेश की भी विभाग अवहेलना कर रहे हैं जिससे किसी भी दिन न्यायालय इन विभागों पर सख्ती कर सकता है।
दो अलग-अलग मामलों को देखें तो समझ आएगा कि किस तरह से स्कूली शिक्षा विभाग व वित्त विभाग में तालमेल गड़बड़ाया हुआ है। पहले मामले के तहत जिन यूडीटी शिक्षकों ने क्रमोन्नति का लाभ लेकर हेडमास्टर का प्रमोशन प्राप्त किया है उन्हें वेतन में बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। इन्होंने सरकार द्वारा प्रमोशन लेकर खुद अपना नुकसान कर लिया। मामले के तहत इन्होंने यूडीटी पद पर क्रमोन्नति ली तो ये 3600 की ग्रेड पर आ गए। बाद में इन्हें हेडमास्टर का प्रमोशन मिला तो तब इन्हें 22 डी का लाभ दिया गया। यह लाभ न्यायालय के आदेश पर मिला जरूर लेकिन वित्त विभाग ने इसे देने से इंकार कर दिया है। वित्त विभाग का कहना है हेडमास्टर का प्रमोशन मान्य नहीं है जिससे 22 डी का लाभ नहीं दिया जा सकता। उसने तो लाभ देने वाले अफसर या कर्मचारी पर कार्रवाई तक करने की बात कह डाली। इस मामले की कहानी यहीं समाप्त नहीं होती है। अब हेडमास्टर से पदोन्नत होकर ये यूडीटी लेक्चरर बने तो भी इन्हें 3600 की ग्रेड से ही संतोष करना पड़ा। जब इन शिक्षकों ने अपनी सेवाकाल के 30 साल पूरे किए तो इन्हें 6600 की स्केल मिल जाना चाहिए थी लेकिन स्कूली शिक्षा विभाग का कहना है इन्होंने हेडमास्टर का पद लिया जो पदोन्नति में आता है, ऐसे में इन्हें 6600 की ग्रेड नहीं मिलेगी। हां, उन शिक्षकों की जरूर मजे है जिन्होंने यूडीटी से हेडमास्टर के पदोन्नति के सरकारी आदेश को नजरअंदाज कर दिया था। इन्हें 4200 की ग्रेड यूडीटी से लेक्चरर बनकर मिल गई और 30 साल सेवा पूरी करने पर 6600 की ग्रेड भी मिल जाएगी। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि वित्त विभाग हेडमास्टर के पद पर पदोन्नति को पदोन्नति नहीं मानता है जबकि स्कूली शिक्षा विभाग इसे पदोन्नति कह रहा है। प्रदेशभर के करीब दो हजार शिक्षक इस पीड़ा से गुजर रहे हैं।
दूसरे मामले के तहत यूडीटी से लेक्चरर बने कुछ शिक्षकों ने दो समयमान वेतनमान ले लिए। स्कूली शिक्षा विभाग ने हाल ही में एक आदेश जारी कर उन शिक्षकों को 6600 की ग्रेड देने की बात कहीं जिन्होंने अपनी सेवा के 30 साल पूरे कर लिए हैं। स्कूली शिक्षा विभाग के आदेश को वित्त विभाग ने धता बताते हुए ग्रेड देने से रोक दिया है। वित्त विभाग का कहना है एक सेवाकाल में तीन बार ही पदोन्नति-क्रमोन्नति दी जा सकती है। कर्मचारियों का कहना है सरकार के दोनों ही विभाग है और यदि इस तरह से अलग-अलग चलेंगे तो उससे कर्मचारी को मानसिक रूप से परेशान होना पड़ता है। कई बार तो शिक्षकों से वसूली तक की जाती है जिसमें उनकी गलती बिल्कुल भी नहीं होती।