पेट्रोल डलवाने के पैसे नहीं थे इसलिए कलेक्टर की दी स्कूटी बेच डाली!
विहान हिंदुस्तान न्यूज
पिछले एक साल से जिला प्रशासन दिव्यांगों को स्कूटी दे रहा है ताकि रोजमर्रा के कार्यों में संबंधित को सुविधा मिले। इंदौर में 500 से ज्यादा स्कूटी इसी योजना के तहत वितरित हो चुकी है। अब जिला प्रशासन ने जब स्कूटी प्राप्त करने वालों से फीडबैक प्राप्त करना शुरू कर दिया है। असल में फीडबैक के नाम पर यह एक तरह की जांच है ताकि पता चल सके कि स्कूटी का उपयोग वहीं व्यक्ति कर रहा है जिसे मिली है या फिर कोई और कर रहा है।
प्राथमिक रूप से जो फीडबैक के नाम पर जो पड़ताल शुरू हुई है उसका असर भी सामने आ रहा है। जो जानकारी सामने आ रही है उसमें कई चौंकाने वाले तथ्य भी हैं। लाभ लेने वाले एक दिव्यांग ने स्कूटी अपने पास नहीं होना बताया। कारण पूछा तो कहने लगा पेट्रोल डलवाने के पैसे नहीं थे जिससे अन्य व्यक्ति को दे दी। बताते हैं कि इस व्यक्ति ने अपनी स्कूटी दूसरे को बेच दी है हालांकि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही सही तथ्य सामने आएंगे। कुछ ग्राहताओं के पास पहले से टू व्हीलर थे, फिर भी उन्होंने छिपाकर यह स्कूटी प्राप्त कर ली। जांच में ये बाते भी सामने आएगी। यह भी देखने में आया कि कई लोगों ने रेडक्रॉस सोसायटी की नाम पट्टी हटवा दी। आपको बता दें तत्कालीन कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी ने दिव्यांगों को स्कूटी की सुविधा देने का फैसला लिया था। करीब एक लाख रुपये मूल्य की इस स्कूटी को प्राप्त करने के लिए आवेदक दिव्यांग को अपनी दिव्यांगता का सर्टिफिकेट, मूल निवासी का प्रमाण पत्र, आधार कार्ड व समग्र आईडी जैसे दस्तावेज दिखाने होते हैं। वर्तमान कलेक्टर आशीष सिंह के पास भी कई दिव्यांग स्कूटी के आवेदन के लिए गए। अब फीडबैक रिपोर्ट या सीधी भाषा में कहें जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई कलेक्टर करेंगे। बताया जा रहा है कि अब आवेदक की पहले जांच होगी उसके बाद ही उसे स्कूटी दी जाएगी।