राजस्थान-छत्तीसगढ़ में पूरी पार्टी ने जोर लगाया लेकिन आसपास, म.प्र. में अकेले शिवराज ही बन गए मतदाताओं के खास
![](https://www.vihanhindustan.com/wp-content/uploads/2023/12/शिवराज.png)
शिवराजसिंह चौहान
मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज
म.प्र., राजस्थान और छत्तीसगढ़ को लेकर जो एग्जिट पोल सामने आ रहे हैं वे यदि एग्जेक्ट पोल में बदल जाते हैं तो भाजपा में शिवराजसिंह चौहान का कद एकदम बढ़ जाएगा। इसके पीछे कारण राजस्थान-छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार गिराकर फिर से सत्ता हासिल करना भाजपा के लिए आसान था लेकिन वहां पेंच फंसा हुआ है। इधर म.प्र. में 18 साल बाद भी शिवराजसिंह चौहान के चेहरे की चमक व नीत नई योजनाओं ने मतदाताओं का दिल जीत लिया है। नतीजों के एग्जिट पोल के मुताबिक आने के बाद शिवराज को म.प्र. के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने से रोकना उनके विरोधियों के लिए भी मुश्किल होगा। यह बात अलग है कि लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी देकर किसी तरह सीएम पद से हटाने की रणनीति में शायद विरोधी कामयाब हो जाए। एक बात यह भी है कि एग्जिट पोल यदि उल्टे पड़ गए तो हार का घड़ा शिवराजसिंह चौहान के सिर पर ही फूटना है।
एग्जिट पोल के आंकड़े देखें तो इंडिया टुडे-एक्सीस ने म.प्र. में भाजपा को 140-162, टुडेज चाणक्य-न्यूज 24 ने 151, इंडिया टीवी ने 140-159 सीटें दी है यानी भाजपा की म.प्र. में लहर बताई जा रही है। हालांकि यह बात अलग है कि कई टीवी चैनलों या समाचार पत्रों के रिपोर्टर-संपादक चुनाव कवरेज के दौरान इस तरह की लहर नहीं देख पाए थे। बात यदि नतीजों के एग्जिट पोल में बदलने की करें तो शिवराजसिंह चौहान भाजपा का वह चेहरा बन जाएंगे जिनके दम पर म.प्र. में इस बार जीत का सेहरा बंधे। पहले तो उन्हें ही टिकट नहीं देने की बातें सामने आ रही थी लेकिन तीसरी लिस्ट में जब उनका नाम आया तो संभवत: उनके लिए यह राहत की बात रही होगी। पूरे चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाड़ली बहना योजना की तारीफ नहीं की हालांकि मतदान से दो दिन पहले पहली बार उन्होंने इस योजना को लेकर प्रसन्नता जाहिर की। जितनी सभाएं छत्तीसगढ़-राजस्थान में बड़े नेताओं की हुई उससे कम ही म.प्र. में देखने को मिली यानी शिवराजसिंह चौहान को यहां एक तरह से अकेले ही किला लड़ाने के लिए छोड़ दिया गया था। 165 सभाएं करने वाले शिवराज ने अंत तक हार नहीं मानी और वे म.प्र. में जीत के करीब पहुंचते (यदि एग्जिट पोल सही रहे तो..) नजर आ रहे हैं।
नतीजे उल्टे पड़ गए तो शिवराज की बढ़ेगी मुश्किलें..
यह बात भी है कि एग्जिट पोल के जो नतीजे अभी तक भाजपा के पक्ष में नजर आ रहे हैं वे यदि उल्टे पड़ गए तो शिवराजसिंह चौहान के लिए मुश्किलों का दौर बढ़ जाएगा। हार का पूरा मटका शिवराज के माथे पर फोड़ा जाएगा। उनके विरोधी भी पूरी तरह से चढ़ाई करने में कमी नहीं छोड़ेंगे। कुछ तो अभी से यह कहने लगे हैं कि शिवराजसिंह चौहान को किसी राज्य के प्रभारी का दायित्व सौंप दिया जाएगा ताकि म.प्र. से उन्हें पूरी तरह से काट दिया जाए। वैसे भाजपा में शिवराजसिंह चौहान के पैर ऐसे जमे हैं कि उनके बड़े विरोधी भी बहुत ज्यादा बुरा उनके लिए सोच नहीं पाते हैं। नितिन गड़करी व देवेंद्र फड़नवीस से उनकी काफी करीबी मानी जा रही है जो पार्टी में एक तगड़ा स्तंम्भ है। मिली जानकारी के अनुसार विधानसभा चुनावों से पहले शिवराज को नहीं हटा पाने में भी विरोधियों के लिए ये नेता ही रोड़ा बने थे। वैसे शिवराज वापसी करना जानते हैं जिससे उनके खिलाफ मोर्चा खोलना उनके विरोधियों के लिए काफी कठिन होगा।