श्री राधे ग्रीन पार्क : रेरा ने सी ब्लॉक का आवेदन निरस्त किया, ए ब्लॉक भी संकट में, बिल्डर की दादागिरी से वित्त निगम के अफसरों पर गिर सकती है गाज

मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज

कुछ बिल्डरों और वित्त निगम के अफसरों का रैकेट सामने आता दिख रहा है। यह पर्दाफाश होगा हुक्माखेड़ी के श्री राधे ग्रीन प्रोजेक्ट से जिसमें वित्त निगम की भी भागीदारी है। प्रोजेक्ट को लेकर रेरा ने जिस तरह का शिकंजा कसा है उससे बिल्डर विपिन अग्रवाल का जेल जाना तो लगभग तय ही है साथ ही वित्त निगम के कुछ अफसरों का निलंबन भी होगा। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की अनुमति के बगैर मल्टी तानने के साथ उसके कई फ्लैट्स बाले-बाले बेच देने से लोगों के साथ धोखाधड़ी भी किये जाने का मामला बनता है। बिना अनुमति के मल्टी बनने से नगर निगम भी सक्रिय होगा जो कम्पाउंडिंग के नाम पर करोड़ों रुपये वसूलेगा। इस राशि को बिल्डर द्वारा भरा जाना इसलिए कठिन है क्योंकि वह पहले ही वित्त निगम से ढाई करोड़ रुपये की राशि लेकर काम कर रहा है। मुनाफा न मिलने से वह राशि जमा नहीं करेगा और निगम इस भवन को गिराने के लिए बाध्य होगा। कुल मिलाकर अधिकारियों-बिल्डर के इस काकस में नुकसान जनता का है। उधर, बिल्डर विपिन अग्रवाल की दादागिरी भी कुछ कम नहीं है। उनका साफ कहना है रेरा अपना काम कर रहा है हम अपना काम करेंगे यानि बिल्डर का अवैध काम जारी रहेगा। हालांकि वित्त निगम के जनरल मैनेजर सुबोध दवे कहते हैं यदि बिल्डर ने अवैधानिक काम किया है तो उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जाएगा।

श्री राधे ग्रीन पार्क प्रोजेक्ट के ब्लॉक सी को लेकर बिल्डर ग्रुप ने रेरा में आवेदन किया था। 26 अप्रैल 2022 को रेरा ने श्री राधे ग्रीन का आवेदन निरस्त कर दिया। इस प्रोजेक्ट में वित्त निगम ने 2.5 करोड़ रुपये का लोन जारी किया है। साथ ही वह इस प्रोजेक्ट में 700 रुपये प्रति वर्ग मीटर सुपर बिल्टअप एरिये का पार्टनर है। विशेष बात तो यह है कि रेरा की अनुमति लेने से पहले ही बिल्डर ग्रुप ने कई फ्लैट्स बेच दिए हैं जिसकी जानकारी विहान हिंदुस्तान डॉटकॉम ने जुटाई है। सवाल यह उठता है कि जिस ब्लॉक को रेरा ने मंजूरी ही नहीं दी उसे बेचा कैसे जाने लगा? दूसरी बात यह है कि जब वित्त निगम को 700 रुपये प्रति वर्गफीट सुपर बिल्टअप से राशि चुकाई जाना है तो उसे अब तक कितनी राशि बिल्डर द्वारा दी गई? वैसे रेरा द्वारा प्रोजेक्ट के सी ब्लॉक के निर्माण की अनुमति निरस्त करने से यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से उलझ गया है। बात अब बिल्डर ​विपिन अग्रवाल पर आना है जिन्होंने फ्लैट्स बेचकर उन लोगों के साथ धोखाधड़ी की जिन्हें उन्होंने साइड क्लियर होने की बात कही थी। बात यदि ब्लॉक ए की करें तो यह भी विवादों में घिर गया है क्योंकि बिना अनुमति न सिर्फ यह ब्लॉक बनाया गया बल्कि इसके सारे फ्लैट्स बेच भी दिये गए हैं जिसकी जानकारी रजिस्ट्रार कार्यालय मुहैया करा देगा। वैसे आपको बता दें रेरा ने आवेदक श्री राधे ग्रीन का आवेदन 26 अप्रैल 2022 को निरस्त कर दिया है। पंजीयन हेतु जमा राशि का 10 प्रतिशत काटकर बकाया राशि आवेदक को वापस कर दी गई। खास बात तो यह है कि श्री राधे ग्रीन के आवेदन पर रेरा अध्यक्ष ए.पी. श्रीवास्तव ने खुद सुनवाई की है। श्री श्रीवास्तव के अलावा सुनवाई में सदस्य एस.एस. राजपूत भी साथ थे। 

इन बिंदुओं पर घिरा श्री राधे ग्रीन पार्क

 -श्री राधे ग्रीन पार्क ब्लॉक सी परियोजना के लिए म.प्र. वित्त निगम से बिल्डर ग्रुप ने 2.5 करोड़ रुपये का टर्न लोन लिया है। लोन की शर्त की कंडिका 6 के अनुसार वित्त निगम की पूर्व अनुमति प्राप्त कर आवेदक फर्म रुपये 700 रुपये प्रति वर्ग मीटर सुपर बिल्टअप एरिया के हिसाब से विक्रय प्रतिफल मूलधन हेतु वित्त निगम को जमा कराएगा। इसके लिए विशेष शर्त क्रमांक डी में रखी गई है जिसके अनुसार आवेदक व वित्त निगम के पास डेडिकेटेड खाता खुलेगा एवं विक्रय से प्राप्त समस्त राशि उस खाते में दर्ज की जाएगी। आपको बता दें कि बिल्डर ग्रुप ने न तो इस तरह का कोई खाता खोला है बल्कि फ्लैट बेचकर काफी रकम अपनी झोली में डाल ली है। इससे एक तरफ वित्त निगम को तो नुकसान होगा ही साथ ही भोली-भाली जनता को भविष्य में बिल्डिंग टूटने पर खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

-रेरा का नियम है कि आवंटियों से प्राप्त राशि परियोजना के पृथक खाते में जमा करने के लिए परियोजना के नाम पर पृथक खाता खोलकर विवरण प्रस्तुत करना होता है लेकिन इस केस में बिल्डर ग्रुप ने ऐसा कुछ नहीं किया। रेरा ने इसे अधिनियम 2016 की धारा 4 (2)(ट)(ई) का उल्लंघन माना है।

-नक्क्षा टीएनसीपी से अनुमोदित कराकर प्रस्तुत नहीं किया गया जो कि अधिनियम की धारा 4(2)(2)(ग) एवं (घ) का उल्लंघन है। नक्शे पास नहीं होने पर भवन अवैध निर्माण की श्रेणी में आ गया है।

-राजस्व अभिलेख में खसरा नकल प्रस्तुत नहीं की गई है जो कि अधिनियम की धारा 4(2)(ठ)(अ) का उल्लंघन है।

-टीएनसीपी की अनुमति 22 नवंबर 2014 को जारी की थी जिसकी समाप्ति अवधि 22 नवंबर 2017 थी। टीएनसीपी की उक्त अनुमति ब्लाकवार नहीं है। परियोजना का ‍आवेदन 1 फरवरी 2021 को किया था। स्पष्ट है कि टीएनसीपी की अनुमति निरस्त होने के 4 वर्ष बाद रेरा में पंजीयन कराने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया है। बिल्डर पक्ष का कहना था हमें नवीनीकरण कराने की जरूरत नहीं है जिसपर रेरा ने कहा अधिनियम की धारा 4 (2)(ग) व (घ) का उल्लंघन है।

-कॉलोनी की विकास अनुमति 27 अगस्त 2015 को जारी की गई थी। इस अनुमति की समाप्ति अवधि 26 अगस्त 2018 को समाप्त हो चुकी थी। प्रस्तुत परियोजना का आवेदन 1 फरवरी 2021 को किया गया था। स्पष्ट है कि कॉलोनी विकास अनुमति समाप्त होने के तीन साल बाद आवेदन प्रस्तुत किया गया। इस मामले में भी बिल्डर पक्ष का कहना था उसे अनुमति की जरूरत नहीं है लेकिन रेरा ने स्पष्ट कर दिया कि अधिनियम की धारा 4(2)(ग) व (घ) का उल्लंघन है।

-आवेदक के द्वारा जो खाता खोला गया है व एचडीएफसी बैंक शाखा यूजी 1 बीसीएम सिटी नौलखा स्क्वेयर, नौलखा चौराहा एबी रोड़ म.प्र. खाता क्रमांक 50200053532694 है जो कर्म ग्रुप के नाम से खोला गया है। हालांकि खाता परियोजना के नाम से खोला जाना चाहिए यानि श्री राधे ग्रीन के नाम से जो प्रोजेक्ट का नाम है। इसमें अधिनियम की धारा 4 (2)(ठ)(ई) का उल्लंघन है।

-आवंटियों से वसूल की गई रकम का 70 प्रतिशत भाग निर्माण के खर्च एवं भूमि की लागत को पूरा करने के लिए पृथक से संधारित परियोजना के खाते में जमा कराया जाना बंधनकारी था जिसका उल्लंघन किया गया।

रेरा अपना काम करें, हमें जो करना है वह करेंगे

हमने वित्त निगम का लगभग पूरा पैसा जमा कर दिया है बस 25 लाख रुपये बकाया है। वह भी हम जमा कर देंगे। बात रही रेरा की तो वह उसका काम करेगा, हम अपना काम करेंगे। हमारी मल्टी में कोई गड़बड़ी नहीं है जिससे हम तो अपना मॉल बेचेंगे। – विपिन अग्रवाल, श्री राधे ग्रीन पार्क

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