अमेरिका में कैदी को नाइट्रोजन गैस के जरिए दी जा रही मौत की सजा, नये प्रयोग करने की तैयारी का जमकर विरोध

इस तरह के स्ट्रेचर पर दी जाएगी मौत की सजा

विहान हिंदुस्तान न्यूज

अमेरिका और चीन प्रयोग के रूप में कब क्या कर दे कोई भरोसा नहीं है। इस प्रयोग का असर विश्व को भी झेलना पड़ सकता है जैसे कोरोना को लेकर चीन घेरे में रहा है। अब अमेरिका अपने यहां के एक कैदी को नाइट्रोजन गैस के जरिए मौत की सजा दे रहा है जिसका काफी विरोध हो रहा है। विरोध करने वालों में कैदी के वकील तो है ही साथ ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इसे अमानवीय और क्रूर बताते हुए सजा पर रोक लगाने की मांग की है। एक बात यह आ रही है कि अमेरिका नाइट्रोजन गैस से मरने को लेकर कोई शोध कर रहा है ताकि भविष्य में वह कोई नया बम इसके परिणाम देखकर इजाद कर सके।

एक हत्या के मामले में केनेथ यूगिन स्मिथ नाम के व्यक्ति को नाइट्रोजन गैस के जरिए मौत की सजा दी जा रही है। स्मिथ पर एक महिला की हत्या का आरोप था जिसमें उसे 1996 में मौत की सजा सुनाई गई थी। स्मिथ ने यह हत्या 1988 में की थी। हत्या की सुपारी महिला के पति ने दी थी। साल 2022 में स्मिथ को जहर वाले इंजेक्शन से मौत दी जाना थी लेकिन डॉक्टरों को उसकी नस ही नहीं मिली जिससे सजा टल गई थी। अब 25 जनवरी 2024 को यह मौत दी जाना है लेकिन इसके लिए नाइट्रोजन गैस का उपयोग किया जाएगा। स्मिथ को एक स्ट्रेचर पर लेटा कर मौत दी जाएगी। उसे स्ट्रेचर पर लिटाकर हाथ-पैर बांध दिए जाएंगे। फिर एक मास्क पहनाया जाएगा ताकि उसे ऑक्सीजन न मिले। स्मिथ को धीरे-धीरे नाइट्रोजन गैस दी जाएगी। सरकारी वकील ने कोर्ट में बताया कि करीब 15 मिनट तक स्मिथ को सिर्फ नाइट्रोजन गैस दी जाएगी जिससे वह कुछ सेकंड में बेहोश हो जाएगा और कुछ मिनटों में उसकी मौत हो जाएगी। हालांकि स्मिथ के वकीलों का कहना है यह घातक है जिससे स्मिथ कौमा में भी जा सकता है। वकील का यह भी कहना है स्मिथ को मरने के दौरान काफी तड़प भी होगी।

हम खुद लेते हैं 78 प्रतिशत नाइट्रोजन गैस…

आपको बता दें कि नाइट्रोजन गैस का कोई रंग नहीं होता है और न ही इसकी कोई गंध होती है। हम सांस लेते हैं उसमें भी 78 प्रतिशत नाइट्रोजन गैस ही होती है लेकिन हमें दिक्कत इसलिए नहीं होती है क्योंकि हम ऑक्सीजन भी साथ में लेते हैं। यदि हमें ऑक्सीजन नहीं मिलती है तो फिर दिक्कत होती है क्योंकि 100 प्रतिशत नाइट्रोजन गैस जाने से मौत हो जाती है। यदि हम अमेरिका की बात करें तो कुछ साल पहले तक कुछ कैदियों को हाइड्रोजन साइनाइड गैस के जरिए भी मौत की सजा दी जाती थी। अमेरिका में आखिर बार 1999 में वॉल्टर ला ग्रांड को इस तरीके से मौत की सजा दी गई। दावा तो यह किया गया कि वॉल्टर की मौत 18 मिनट में हुई। वॉल्टर भी हत्या के मामले में ही जेल गया था।

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