करीब 50 हजार सांपों को बचाने वाले सुरेश को कोबरा ने डसा, अब जिंदगी से जूझ रहे
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विहान हिंदुस्तान न्यूज
कक्षा छठवीं से सांपों से दोस्ती करने वाले केरल के वावा सुरेश इस समय जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। वह इस समय वेंटिलेटर पर हैं। कोट्टायम जिले में रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान उन्हें कोबरा सांप ने डस लिया। केरल में सांपों को बचाने के लिए वे काफी मशहूर हैं। उन्होंने 20 साल के दौरान उन्होंने अब तक 50 हजार से ज्यादा सांपों की रक्षा की है। इस दौरान उन्हें करीब ढाई सौ बार सांपों ने काट लिया और हर बार वे मौत से बचकर निकले। इस बार भी उनके लिए दुआएं की जा रही हैं। वे कोट्टायम के सरकारी अस्पताल में अपने जीवन की लड़ाई लड़ रहे हैं। वे सांपों को बचाकर उन्हें जंगल में छोड़ते आ रहे हैं।
उनकी सोशल मीडिया के इंस्टाग्राम में सांप, अजगर के साथ तस्वीरें देखी जा सकती हैं। इन तस्वीरों में वह सांप के साथ सहज दिखाई देते हैं। जहरीले सांपों को पकड़ने में उनकी महारत को देखकर केरल वन विभाग की ओर से उन्हें नौकरी का भी प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन उन्होंने इसे यह कहते हुए ठुकरा दिया कि इससे वे समाज की पूरी तरह से सेवा नहीं कर पाएंगे। सांपों के साथ उनकी दोस्ती तभी शुरू हो गई थी, जब वह छठवीं कक्षा में पढ़ते थे। पिछले कई सालों से वह सक्रिय रूप से इस पेशे में शामिल हैं। 2018 में केरल में आई बाढ़ में उन्होंने एक हफ्ते में 9 जिलों से 80 सापों का रेस्क्यू किया था। 2012 में तत्कालीन मंत्री केबी गणेश कुमार ने तिरुवनंतपुरम के कोट्टूर वन क्षेत्र में उन्हें वन विभाग की ओर से नौकरी का ऑफर दिया था। सुरेश ने इससे इनकार कर दिया। उनका कहना था कि अगर वह नौकरी स्वीकार कर लेते तो अपने स्वभाविक तरीके से समाज की मदद नहीं कर पाते। दो साल पहले जब उन्होंने यह काम छोड़ने का फैसला किया था तो सोशल मीडिया पर काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी। सांप पकड़ना और उसे सुरक्षित स्थान में पहुंचाना उनका पैशन था, लेकिन इसके बदले उन्हें कुछ हासिल नहीं हो रहा था। उनका कहना था कि वह कई किमी दूर ट्रैवल करने के बाद अपनी जान को खतरे में डालकर सांप का रेस्क्यू करते थे। एक इंटरव्यू में वावा सुरेश ने बताया था कि उन्हें बदनाम करने के लिए कई आरोप लगाए गए, जैसे कि वह सांप का जहर इकट्ठा करते हैं। इन सभी आरोपों से वह काफी आहत हुए थे और मानसिक तनाव हो गया था। वावा सुरेश ने इंटरव्यू में कहा था, ‘मैं अपनी आखिरी सांस तक सांपों को बचाना चाहता था। आज तक मैंने अपनी सेवा के लिए किसी से पैसे नहीं मांगे। अगर कोई मुझे पैसे देगा तो मैं ले लूंगा। सांपों को बचाना और उन्हें जंगलों में ले जाना महंगी प्रक्रिया है लेकिन मैंने खर्च के बारे में किसी को नहीं बताया।’