इस्लाम में ब्याज हराम…पाकिस्तान सरकार को शरिया कोर्ट ने दिए आदेश- सूद के लेन-देन खत्म करें

विहान हिंदुस्तान न्यूज

इस्लाम में ब्याज हराम है लेकिन कई मुस्लिम देशों में सरकार खुद इसे लेन-देन में शामिल करती है। पाकिस्तान में भी स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान सहित लगभग सभी बैंके ब्याज का लेन-देन करती है। अब शरिया कोर्ट ने पाकिस्तानी सरकार को आदेश दिया है कि ब्याज का लेन-देन बंद कर दे। कोर्ट ने 2027 तक पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था से सूद के लेन-देन को खत्म करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान सहित कुछ अन्य बैंकों ने शरिया कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

खुद को इस्लाम का खैरख्वाह बताने वाला पाकिस्तान ही इस्लामी तरबियत को नजरअंदाज करता है। जब इस्लाम में स्पष्ट है कि ब्याज हराम है तब भी वह बैंकों में इस प्रक्रिया को अपनाता रहा है। यही नहीं कई मुस्लिम देशों में सूद के लेन-देन का चलन है। पाकिस्तान को ही कुछ मुस्लिम देशों ने लोन दिया जिसे सूद के साथ वापस लेने का अनुबंध भी रखा गया है। बात यदि पाकिस्तान में शरिया कोर्ट की करें तो उसकी तीन जजों की बैंच ने सरकार को कहा है सूद का खात्मा धार्मिक और कानूनी जिम्मेदारी है इसलिए सरकार को सूद के लेन-देन को हर हालत में खत्म करना होगा। अदालत ने कहा कि सिस्टम से सूद के लेन-देन को पूरी तरह खत्म करने के लिए पांच साल का वक्त काफी है और सरकार से उम्मीद की जाती है कि वह इस मामले में उठाए जाने वाले कदमों की सालाना रिपोर्ट संसद में पेश करे। मिली जानकारी के अनुसार पाकिस्तानी में एक धड़ा विश्व के सारे मुसलमानों को ब्याज के लेन-देन से मुक्त रहने की हिदायत दे रहा है। इस धड़े का कहना है इस्लाम में जब सूद लेना हराम है तो मुसलमान को इसे लेना ही नहीं चाहिए चाहे उसे बैंक में जमा राशि पर ही यह क्यों न ब्याज मिल रहा हो। वह ब्याज के रूप में मिली राशि को बैंक को वापस लौटा दे क्योंकि यह ब्याज उसी से उसे मिला है। कुछ लोग बैंक से मिले ब्याज को लेते तो हैं लेकिन गरीबों को या किसी सेवा कार्य में दे देते हैं। इसे भी गलत बताया जा रहा है क्योंकि बैंक से मुस्लिम उपभोक्ता ब्याज प्राप्त करते ही गुनाह कर लेता है। इसके लिए वह अपनी जमा रकम ही निकाले और जो ब्याज उसे बैंक द्वारा दिया जा रहा है उसके लिए वह बैंक मैनेजर को पत्र लिखकर ब्याज की राशि वापस लेने की बात कह सकता है।

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