अफगानिस्तान में चोरों के कटेंगे हाथ-पैर, चौराहे पर लगेगी फांसी…कारण- तालिबान ने शरिया कानून लागू किया

विहान हिंदुस्तान न्यूज

अफगानिस्तान में अब शरिया कानून लागू कर दिया गया है। इसके तहत अब फिर एक बार चौराहों पर फांसी की सजा देने के अलावा चोरी करने वालों के हाथ-पैर काटे जाएंगे। पत्थर या कोड़े मारने की सजा भी सुनाई जाएगी। इस बात को लेकर तालिबान के सर्वोच्च नेता हैबतुल्लाह अखुंदजादा ने जजों की एक बैठक ली और उन्हें शरिया कानून के तहत सजा सुनाने का हुक्म दिया।

कुछ दिनों पहले तालिबान ने महिलाओं के पार्क में जाने पर पाबंदी लगा दी थी। इसके बाद अब दो दिन पहले अखुंदजादा का जजों को शरिया कानून के तहत सजा सुनाना बदलते अफगानिस्तान को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया था तब से ही तालिबान का राज चल रहा है। इतने समय तक तालिबान ने शरिया कानून पर जोर नहीं दिया लेकिन अब उसे हालात अपने अनुकूल लगने लगे तो वह शरिया कानून की तरफ बढ़ा है। साल 1996 से 2001 तक तालिबान का अफगानिस्तान पर राज था, तब भी वहां शरिया कानून लागू था। तालिबान ने सभी चोरों, किडनैपर्स और देशद्रोहियों की केस फाइल को अच्छे से देखकर उसपर फैसला लेने की बातें जजों से कही है। यदि आरोपी दोषी पाया जाता है तो उसे शरिया कानून के तहत सजा दी जाने की बात भी कही। शरिया कानून के तहत एडल्ट्री करने वालों को कोड़े मारने की सजा दी जाती है। कई मामलों में अपराधी को पत्थर से मारने की सजा सुनाई जाती है जिसमें अपराधी के मरने तक उसे पत्थर मारे जाते हैं। कई अन्य ऐसी सजाओं को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने भी तालिबान पर आपत्ति ली थी। शरिया कानून के तहत अफगानिस्तान के हर नागरिक को चाहे वह क्रिश्चियन हो या हिंदू-सिख अथवा किसी अन्य धर्म का सभी को इसके तहत सजा सुनाई जाएगी। शरिया कानून के तहत सऊदी अरब, कतर, यूएई, इंडोनेशिया, ईरान, ब्रूनेई और नाइजीरिया में सजा दी जाती है। यहां पूरी तरह से शरिया लागू है। सितंबर 2020 तक सूडान में भी शरिया कानून के तहत सजा दी जाती थी लेकिन अब वहां के कानून से इसे हटा दिया गया है।   

इस्लाम की कानूनी व्यवस्था है शरिया कानून

इस्लाम में ​शरिया का काफी महत्व है। हर मुसलमान को इसके तहत चलना चाहिए। शरिया कानून इस्लाम की कानूनी व्यवस्था है। शरिया का शाब्दिक अर्थ पानी का एक साफ और व्यवस्थित रास्ता होता है।

शरिया कानून में अपराध को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है जिसमें हुदुद, किसस और ताजीर होता है। यदि बात हुदुद की करें तो यह गंभीर अपराधों के लिए होता है जिसमें सजा जरूरी है। किसस में बदले की भावना जैसा है… जैसे आंख के बदले आंख भी कहा जाता है। हुदुद के तहत व्यभिचार (एडल्ट्री), अपहरण करना, डकैती डालना, किसी पर झूठा इल्जाम लगाना, शराब पीना, मजहब त्यागना या विद्रोह जैसे अपराध आते हैं। किसस की श्रेणी में मर्डर और किसी को जानबूझकर चोट पहुंचाना जैसे अपराध आते हैं। इसमें अपराधी के साथ वैसा ही किया जाता है जैसा उसने किया होता है। ताजीर में उन अपराधों को शामिल किया गया है जिसमें किसी तरह की सजा का जिक्र नहीं है जिससे जजों को अपने विवेक से फैसला होना होता है।

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