जिला प्रशासन की टीम ने नाबालिग का विवाह रूकवाया, परिवार को दी समझाइश
विहान हिंदुस्तान न्यूज
देवउठनी एकादशी पर होने वाले अबूझ मुहूर्त में सर्वाधिक विवाह के चलते जिला प्रशासन और महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस दौरान होने वाले विवाह में बाल विवाह ना हो इसको लेकर दल गठित करते हुए जिम्मेदारी सौंपी है। कलेक्टर ने एसडीएम स्तर पर दल गठित कर विवाह समारोह में बाल विवाह को लेकर नजर रखने के निर्देश दिए वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग ने अनुभाग स्तर के साथ ही जिला स्तरीय दो दल गठित किए हैं। विभाग के मुख्यालय पर शिकायत के लिए कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है जिसमें शिकायत दर्ज की जा रही है। एकादशी पर होने वाले विवाह को लेकर कल थाना एम आई जी में की गई शिकायत के अनुसार रुस्तम की चाल में रहने वाले परिवार द्वारा 16 वर्ष की बालिका का विवाह 18 वर्ष के झांसी निवासी बालक के साथ होना तय था। शिकायत के आधार पर थाना एमआईजी की उप निरीक्षक सीमा शर्मा और बाल विवाह विरोधी उड़नदस्ता प्रभारी महेंद्र पाठक ने बालिका के परिजनों को बुलाकर समझाइश दी। चर्चा में पता चला कि बालिका की माता पर पिछले दिनों किसी ने हमला किया था जिसके डर के कारण वे अपनी बेटी का विवाह जल्दी से जल्दी करना चाह रही थी। जबकि शिकायतकर्ता का कहना है कि उक्त विवाह दबाव बनाकर किसी दलाल महिला के माध्यम से झांसी निवासी नवयुवक के साथ कराया जा रहा है। पाठक ने बताया कि वर पक्ष से चर्चा करने पर पता चला कि बालक की उम्र अभी मात्र 18 वर्ष है और उन्हें नियमों की जानकारी नहीं थी इसके चलते में विवाह कर रहे थे। युवक की माताजी बीमार रहती है जिसके कारण पर जल्द से जल्द विवाह करना चाहते थे। नियम और सजा का प्रावधान जानने के बाद उन्होंने विवाह करने से मना कर दिया। बालिका की माता ने बताया कि बेटी का जन्म और शिक्षा बड़ोदरा गुजरात में हुई है उसके उम्र संबंधी कोई प्रमाण नहीं है किंतु उसका जन्म 1 जुलाई 2006 को हुआ था इसके अनुसार उसकी आयु मात्र 17 वर्ष है। बालिका के परिजनों को बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम की जानकारी देते हुए विवाह करने पर होने वाली सजा और जुर्माना के बारे में बताने पर उन्होंने तुरंत उक्त विवाह निरस्त करने का शपथ पत्र दिया और वर पक्ष को भी दोनों बच्चों के बालिक ना होने तक शादी न करने की बात कही। उक्त कार्रवाई के दौरान संस्था आस की सुनीता राय और शुभम भी उपस्थित थे।