द केरला स्टोरी का सच जाने : कपिल सिब्बल ने लड़ा था केस, कम्युनिस्ट व कांग्रेस के सीएम ने भी खुद लड़कियों के गायब होने की जानकारी दी, अफगानिस्तान में पकड़ी गई 10 भारतीय लड़कियां

यह फोटो द केरला स्टोरी फिल्म का है। इस फोटो को सिर्फ खबर के साथ लगाया गया है। खबर में जिन युवतियों के नाम का उल्लेख है उनसे इस फोटो का कोई लेना-देना नहीं है।

मुनीष शर्मा, विहान हिंदुस्तान न्यूज

द केरला स्टोरी को लेकर इन दिनों देश में सियासत काफी गर्म है। म.प्र. की शिवराजसिंह सरकार ने इसे टैक्स फ्री कर दिया है तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे लेकर राज्य में प्रतिबंध लगा दिया है। कोई इस फिल्म को सच्ची स्टोरी बता रहा है तो कोई झूठी कहानी करार दे रहा है। हम धर्मांतरण या आईएसआईएस तक पहुंचाने को लेकर आपको केरल से संबंधित कुछ जानकारी दे रहे हैं जो तथ्यों पर आधारित है। केरल के दो तत्कालीन मुख्यमंत्रियों (एक कम्युनिस्ट दूसरे कांग्रेसी), नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) की रिपोर्ट, चर्च के बिशप व सुप्रीम कोर्ट अथवा हाईकोर्ट के वे मामले जिसमें कही न कही इन तथ्यों का उल्लेख हुआ है। एक मामले में तो धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम बनी युवती का केस सुप्रीम कोर्ट तक चला। खास बात यह है कि इस युवती का केस राजनेता व ख्यात वकील कपिल सिब्बल ने लड़ा जिसमें सामने युवती के पिता थे जो सेना के रिटायर अफसर थे। कपिल सिब्बल की फीस व अन्य खर्च एक करोड़ रुपये बताए गए हैं जिसमें सामने यह आ रहा है कि पापुलर डेमोक्रेटिक फंड (पीएफआई) ने इसमें युवती के लिए पैसा खर्च किया। हम उन 22 लोगो की जानकारी भी आपको देंगे जिन्हें अफगानिस्तान पहुंचाया गया था और अफगान फोर्सेस ने जब आईएसआईएस के कैंप पर हमला किया तो ये 22 भारतीय गिरफ्तार किए गए जिसमें 10 महिलाएं व उनके बच्चे थे।

बात करते हैं पीएफआई की जो पूर्व में यानी 1994 में स्थापना के दौरान नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (एनडीएफ) के नाम से था। साल 2006 में कोझिकोड (केरल) में एक अधिवेशन हुआ जिसमें इसे पापुलर फ्रंड ऑफ इंडिया (पीएफआई) नाम दिया गया। पीएफआई का मकसद हिंदू व ईसाई युवक-युवतियों का धर्मांतरण करवाकर उन्हें इस्लाम कबूल करवाना रहा और फिर इन्हें आईएसआईएस में भर्ती कराना था। यह हिंदू-ईसाई युवाओं को ही नहीं बल्कि मुस्लिम युवक-युवतियों को भी अपने जाल में फांसते थे और इन्हें केरल से मुंबई के रास्ते अफगानिस्तान, सीरिया, इराक भेजते थे। पीएफआई की सहयोगी संस्था थर्बियातुल इस्लाम सभा, जो कोझिकोड और सत्यसारणी ट्रस्ट बताए जाते हैं। कुल मिलाकर पीएफआई भारत विरोधी गतिविधियां चलाता रहा। धर्मांतरण व आईएसआईएस तक ले जाने का पैसा भी पीएफआई ही खर्च करता रहा जिसे विदेशों से फंडिंग होती रही। यह सबकुछ सरकारी रिकॉर्ड में भी दर्ज है।

सबसे पहले मामला सामने लाए केरल के सीएम वी.एस. अचुथानंदन

मई 2006 में सीपीआईएम (कम्यूस्टि) से वी.एस. अचुथानंदन सीएम बने। उनकी पूरी नजर पीएफआई पर थी। सीएम बनने के बाद उन्होंने इंटेलिजेंस एंजेसियों को पीएफआई के प्रति सर्तक किया। सीएम को पता चला पीएफआई के संपर्क कुख्यात आतंकी संगठन आईएसआईएस व तालिबान के साथ हैं। पीएफआई हिंदू व ईसाइ लड़कियों को किस तरह जाल में फंसाकर धर्म परिवर्तन कराता है। इसमें वह कुछ मुस्लिम युवकों व युवतियों की भी मदद लेता है।

-बात यदि ईसाईयों की करें तो साल 2009 में कैथोलिक बिशप काउंसिल के बिशप ने इस मामले से पर्दा हटाया। उन्होंने अपनी रिपोर्ट अक्टूबर 2009 में अपनी वरिष्ठ चर्च को दी कि 4500 ईसाई लड़कियों को इस्लाम कबूल करवाया गया। सरकार के सामने भी यह रिपोर्ट पहुंचीं। 29 सितंबर 2009 को यह रिपोर्ट पूरे देश के सामने आई जब मामला केरल हाईकोर्ट तक पहुंचा। पूरे मामले को देखने के बाद न्यायालय ने भी माना कि लव जिहाद या रोमियो जिहाद है। न्यायालय ने पुलिस को जांच कर रिपोर्ट देने को भी कहा गया। केस का नाम था शाहन शाह विरुद्ध स्टेट ऑफ केरला।

-इस केस की बात करें तो कोच्चि के शाहन शाह और सिराजुद्दीन ने दो लड़कियों को जिसमें एक हिंदू व दूसरी ईसाई थी, को जबरदस्ती इस्लाम में कन्वर्ट कराया था। सिराजुद्दीन पर धारा 377 का प्रकरण भी दर्ज हुआ क्योंकि ईसाई लड़की ने बताया कि उसके साथ अननेचरल सेक्स हुआ। शाहन शाह व हिंदू लड़की एमबीए कर रहे थे। शाहन सीनियर था व हिंदू लड़की को घर ले जाता था। शाहन की मां भी हिंदू लड़की को मुस्लिम कस्टम बताती थी। यहीं नहीं उस हिंदू युवती से सनातन धर्म की बुराई भी करती थी। शाहन शाह ने युवती को इस्लाम कबूल करने को कहा। साथ ही यह भी कहा कि यदि इस्लाम कबूल नहीं किया तो वह रिलेशन खत्म कर देंगा। ईसाई लड़की के साथ भी ऐसा ही होता था। जिनसे भी सिराजुद्दीन मिलवाता वह इस्लाम कबूल करने की बात करता था। इन दोनों लड़कियों का माइंड वॉश पीएफआई की वुमन विंग भी करती थी। दोनों लड़कियों को वल्लापुरम के एक घर में दो हफ्ते रखा गया। इनसे घर पर फोन लगवाया कि वे इस्लाम कबूल कर रही हैं। पीएफआई के लोग भी उस घर में आते थे। लड़कियों के घर वाले कोर्ट में गए। सिराजुद्दीन ने ईसाई लड़की के साथ गलत हरकत करने की भी कोशिश की जिससे उस पर धारा 377 के तहत प्रकरण दर्ज हुआ। जज ने इस केस को देखते हुए 2009 में फैसला सुनाया। साथ ही यह उल्लेख भी किया कि पिछले 3 साल से इस तरह के केस आ रहे हैं। केस में ही लव जिहाद या रोमियो जिहाद का उल्लेख भी किया गया। जब केरल हाईकोर्ट में लव जिहाद या रोमियो जिहाद का नाम आया तो पीएफआई का नाम सामने आया।

मलियाली शिक्षक के हाथ काटे तब सामने आई सच्चाई, कैसे 2030 तक केरल को बनाना था इस्लामिक स्टेट

साल 2010 में केरल के इडुप्पी जिले में मलियालम शिक्षक ने एक पेपर सेट किया। इस पेपर में दिए गए एक प्रश्न पर तब अंगुली उठी जब यह विरोध हुआ कि इसमें प्राफिट मोहम्मद का अपमान हुआ है। तीन महीने बाद ही कुछ लोगो ने प्रोफेसर का एक हाथ काट दिया। घटना पर हंगामा हुआ और सीएम वी.एस. अचुथानंदन ने मामले की पूरी जानकारी ली। घटना में पीएफआई का नाम सामने आया तो उन्होंने पुलिस को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया। पुलिस ने पीएफआई के दफ्तरों पर रेड की तो वहां से कई हथियार तो मिले ही सही साथ ही तालिबान और आईएसआईएस के आरोपियों को दंड देने के वीडियो व किताबे भी मिली। इसके अलावा पीएफआई को मिलने वाले धन के ट्रांजेक्शन के दस्तावेज भी मिले। खास बात तो यह रही कि 24 जुलाई 2010 को सीएम अचुतानंदन ने मीडिया से बात की और पीएफआई की पोल खोली। इस कम्युनिस्ट नेता ने कहा कि पीएफआई पूरे केरल को 2030 तक मुस्लिम स्टेट बनाना चाहता है। यह संगठन नान मुस्लिम लोगों को कन्वर्ट कर रहा है ताकि समय के साथ यह इस्लामिक स्टेट बन सके।

फिर हुई कांग्रेस के सीएम की इंट्री और…

साल 2011 में कांग्रेस की सरकार आई और ओमान चांडी सीएम बने। अगस्त 2011 में केरल पुलिस ने दो लोगों को अरेस्ट किया जिसमें शीना फरजाना और नसीर शामिल थे। दोनों से पूछताछ में पता चला कि ये आईएसआईएस के हेंडलर्स थे। ये हिंदू-ईसाई लड़कियों का ब्रेन वाश करके यमन में आईएसआईएस के लिए काम करने भेजते थे। 2011 में केरल के कासगोड में एक ईसाई लड़की थी सोनिया जिसे राशिद अब्दुल्ला नाम का शख्स मिला जो पेशे से कम्प्यटर इंजीनियर था। राशिद अब्दुला ने सोनिया से नजदीकी बढ़ाकर उसे इस्लाम कबूल करने के लिए कहा। सोनिया बहुत समय बाद मानी। अब्दुला ने उसे आईएसआईएस से कनेक्ट करा दिया क्योंकि वह आईएसआईएस का हेंडलर था। सोनिया का नाम बदलकर आयशा कर दिया गया। अब्दुला की एक और बीवी थी जिसका नाम था यास्मिन।

-अब्दुला व यास्मिन ने केरल में 10 स्कूल बनाए हुए थे जो पीस एजुकेशनल फाउंडेशन के तहत संचालित होते थे। यहां की यंग हिंदू- ईसाई लड़कियों व लड़कों का ब्रेन वाश किया जाता था। 21 लड़के-लड़़कियों को योजना के तहत भर्ती कर इनका धर्म परिवर्तन कराया गया। 23 साल की एक हिंदू लड़की जो दंत चिकित्सक का कोर्स कर रही थी उसे भी जाल में फंसाया गया। उसका नाम था निमिषा अग्रवाल। निमिषा की शादी बेस्टन नाम के युवक से कराई गई जो खुद भी ईसाई धर्म को छोड़कर इस्लाम कबूल कर चुका था। निमिषा का नाम बदलकर फातिमा कर दिया गया। एक मेरिन करके लड़की थी जिसका नाम बदलकर मरियम कर दिया गया जिसका निकाह भी एक अन्य मुस्लिम युवक से कर दिया गया। यह सब एनआईए के रिकॉर्ड में दर्ज है क्योंकि ये सभी बाद में अफगानिस्तान में पकड़े गए।

-साल 2012 में केरल विधानसभा में एक रिपोर्ट सीएम चांडी ने पेश की जिसमें कहा गया कि 2006 से 2012 तक 7713 लोगो को इस्लाम कबूल कराया गया। साल 2009 से 2012 तक 2668 महिलाएं इस्लाम कबूल कर चुकी थी जो हिंदू या ईसाई धर्म से थी। इसमें भी 76 प्रतिशत 35 साल से कम उम्र की थी। 2195 हिंदू व 492 ईसाई युवतियां हैं। साल 2005 से लगातार 2012 तक 800 से 3200 लड़कियों को औसत हर साल इस्लाम कबूल कराया गया। घरवालों व रिश्तेदारों को ये लड़कियां मिली ही नहीं। इन्हें अफगानिस्तान भेजे जाने की बात सामने आई।

अब्दुल्ला ले गया अफगानिस्तान, यहां आया कपिल सिब्बल का नाम

-विधानसभा में पेश हुई रिपोर्ट के बाद भी हेंडलर्स अपना काम करते रहे। साल 2016 तक यानी चार साल में अब्दुला ने 22 लोगों को इस तरह कासरगोड से व अन्य जगह से भारत छोड़ने को राजी कर लिया। इन्हें बताया गया कि असली इस्लामिक ​जिंदगी जीने के लिए भारत से इन्हें बाहर भेजा जा रहा है क्योंकि भारत काफिरों का देश है क्योंकि यहां शरीया फालो नहीं किया जाता है। 24 मई से 31 मई 2016 तक कुछ लोगो को मुंबई एयरपोर्ट पहुंचाकर अफगानिस्तान के लिए रवाना किया गया। अफगानिस्तान में ये ननगरहार पहुंचते हैं। यह सबकुछ एनआईए की चार्जशीट लिखा गया है।

-साल 2016 में करीब 64 भारतीय जिसमें 26 पुरुष, 13 महिला व बच्चे केरल से मुंबई और वहां से अफगानिस्तान गए। इन सभी ने आईएसआईएस को ज्वाइन किया।

– केरल में जुलाई 2016 में एक केस सामने आया जिसमें इंडियन आर्मी में पदस्थ महिला मिनी विजयन ने कोर्ट में बताया कि उनकी बेटी अपर्णा (बीटेक) को जबरन इस्लाम कबूल करवाया गया। अपर्णा के साथ कोर्ट में एक सुमैया नाम की लड़की आती थी। कोर्ट में अपर्णा ने बताया कि वह अपनी मां के साथ जाना नहीं चाहती। बाद में अपर्णा की शादी मल्लापुरम के आशिक नाम के एक ऑटो चालक के साथ करवा दी गई। यही नहीं साल 2016 में दो हिंदू लड़कियां अथिरा व अकिला का धर्म परिवर्तन कराया गया जिसमें सेनबा नाम की लड़की की महती भूमिका थी। शफीन जहान नाम के युवक से अथिरा का निकाह कराया गया। अथिरा का नाम हादिया रख दिया गया। हादिया मैरेज केस देखा जा सकता है। हादिया के पिता इंडियन आर्मी से रिटायर थे जो कोर्ट में जाकर अपनी बेटी की शादी को चैलेंज करते हैं। बताया जाता है हादिया को कोर्ट में पीएफआई ने लीगल हेल्प के साथ फाइनेंशियल हेल्प भी की। यह केस सुप्रीम कोर्ट में केस चला जिसमें पीएफआई ने करीब एक करोड़ रुपये खर्च किए। कपिल सिब्बल ने हादिया का केस लड़ा। इस केस में हादिया के पक्ष में फैसला भी हुआ।

अब्दुल्ला के घरवालों ने ही पुलिस में शिकायत कराई तब पता चला…

साल 2016 में अब्दुला के घर वालों को पता चला कि वह आईएसआईएस का हेंडलर है। घरवालों को तब पता चला जब अब्दुल्ला व उसकी दूसरी पत्नी सोनिया डेढ़ माह से गायब थे। जब घरवालों ने चंदेरा पुलिस को यह जानकारी दी तो सभी चौंक गए। इस चंदेरा पुलिस स्टेशन में इसी तरह के लापता होने के 14 मामले सामने आए जो दो दिनों में ही सामने आए थे। पुलिस ने हिस्ट्री निकाली तो पता चला ये सभी आईएसआईएस ज्वाइन करने के लिए अफगानिस्तान गए हैं। स्पेशल टीम ने जांच की तो पता चला अब्दुल्ला की पहली ​पत्नी यास्मिन दिल्ली में है। वह दिल्ली के जामिया नगर में थी जहां से वह आईएसआएस के लिए काम कर रही थी। 1 अगस्त 2016 को यास्मिन के खिलाफ पुलिस ने अलर्ट जारी किया। यास्मिन अफगानिस्तान भागने की तैयारी कर रही थी जिसे दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया।

-उधर अफगानिस्तान फोर्स ने आईएसआईएस के एक कैंप पर हमला किया तो भारत से गए 22 लोग भी हताहत हुए। खुरासान में यह हमला हुआ था। अब्दुल्ला राशिद अब्दुल्ला व एक और हेंडलर अफगान फोर्स के इस हमले में मारे गए। अफगान फोर्स के सामने 22 लोग जिसमें 10 लड़कियां भी शामिल थी वह बच्चों को लेकर सामने आई। ये लोग अफगानिस्तान में बचते-बचाते भाग रहे थे। भारत की इंटेलिजेंस एजेंसी भी अफगानिस्तान पहुंची और इन लड़कियों से बात की। इसमें सोनिया भी थी जो आयशा व निमिषा भी थी जो हादिया बन चुकी थी। सोनिया ने बताया कि मैंने सोचा नहीं था कि ये इस्लामिक लाइफ ऐसी रहेगी। मैं भारत वापस जाना चाहती हूं। निमिशा जो फातिमा बन चुकी थी उसकी 3 साल की बच्ची थी। बताते हैं वह अपना मानसिक संतुलन खो चुकी थी। भारतीय एंजेसियों ने इन्हें भारत लाने से मना कर दिया और वर्तमान में ये अफगानिस्तान की जेलों में बंद है। इन जेलों में कई मुस्लिम युवक-युवतियां भी बंद है जिन्हें आईएसआईएस ने जाल में फंसाया था।

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