महाकाल नगरी उज्जैन में ही रात रूके सीएम डॉ. मोहन यादव, अपने आक्रामक तेवरों से हो रहे ख्यात…भ्रष्ट अफसरों में अफरा-तफरी

विहान हिंदुस्तान न्यूज

म.प्र. के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को उज्जैन में ही रात रूकने का फैसला किया। उन्होंने उस मिथक को तोड़ने का प्रयास किया है जिसमें यह माना जाता रहा है कि महाकाल की नगरी उज्जैन में सिर्फ एक ही राजा रात रूक सकता है और वे हैं महाकाल। डॉ. यादव का कहना है पूरे ब्रह्माण में ही एक राजा हैं और वे हैं महाकाल, हम तो उनके बच्चे हैं जिससे हम राजा कैसे हो सकते हैं। आपको बता दें मिथक यह है कि कोई प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री उज्जैन में रात रूक जाए तो वह पद से हट जाता है या उसका पद चले जाता है।

अपने आक्रामक तेवरों के कारण सीएम डॉ. मोहन यादव दिनों-दिन ख्यात होते जा रहे हैं। पहले ही आदेश में उन्होंने जहां तेज आवाज में बजने वाले लाउडस्पीकरों व खुले में मांस बेचने वालों पर कड़े तेवर दिखाए वहीं ईमानदार छवि वाले सीनियर आईएएस राघवेंद्र सिंह को प्रमुख सचिव, मुख्यमंत्री बनाकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए। अब भ्रष्ट छवि वाले अफसरों में अफरा-तफरी मची हुई है। इनमें से कुछ अफसर तो ऐसे थे जिनकी पिछली सरकार में तूती बोलती थी। ये अफसर अब अपने-अपने राजनीतिक आकाओं की तरफ दौड़ लगा रहे हैं। कुछ ऐसे अफसर भी हो गए थे जो भाजपा से ऊपर उठकर काम कर रहे थे। ये अफसर इतने ताकतवर हो गए थे जो भाजपा नेताओं को निगम-मंडलों में पद दिलाने के साथ उम्मीदवारी के लिए टिकट तक दिलाने लग गए थे। ये अफसर जिले के प्रभारी मंत्री की तरह काम करने लगे थे जो अपने मुताबिक ट्रांसफर-पोस्टिंग कराते थे। इन्हीं में से एक अफसर अब केंद्रीय मंत्री राजनाथसिंह व विधानसभा स्पीकर नरेंद्रसिंह तोमर से आस लगाए हुए हैं ताकि उसे फिर से वह बूटी मिल जाए जिससे उसने अपनी भ्रष्टाचार की दुकान सजा रखी थी। इस अफसर की बदतमीजी के चलते वरिष्ठ अफसर भी उससे कन्नी काट लेते थे। मुख्यमंत्री रहे शिवराजसिंह चौहान की सरकार इन जैसे अफसरों के कारण ही बदनाम हुई थी जिससे डॉ. मोहन यादव से उम्मीद की जा रही है कि वे ऐसे सूरमा अधिकारियों को नजरअंदाज करके ही चलेंगे। मुख्य सचिव वीरा राणा भी एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी हैं जिनके चलते भी भ्रष्टाचारी अफसर अपनी सीमा में रहेंगे।

रेवेन्यू जनरेट करना बड़ी चुनौती है..

सीएम डॉ. मोहन यादव के सामने भ्रष्ट अधिकारियों पर लगाम कसना तो जरूरी होगा लेकिन उसके साथ ही रेवेन्यू जनरेट करना भी उतना ही जरूरी है। वैसे भ्रष्टाचार पर नियंत्रण होते ही रेवेन्यू स्वत: ही बढ़ने लगेगा। रेवेन्यू बढ़ने से सरकार पर जो योजनाओं का खर्च बढ़ा है उससे दिक्कत नहीं होगी। इसके अलावा भाजपा के आम कार्यकर्ता का मान रखना भी अति आवश्यक है क्योंकि वे जनता का काम नहीं कर पाएंगे तो जनता भी उन्हें तवज्जों नहीं देगी। बताया जाता है सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन को लेकर डॉ. मोहन यादव ने कुछ रणनीति बनाई है जिससे नए साल में ही संभवत: इन कर्मचारियों को फायदा हो सकता है। इन सभी के साथ म.प्र. का विकास करना और सही मायने में बाहरी उद्योगपतियों को प्रदेश में जमाना बड़ा लक्ष्य होगा। इससे रोजगार पैदा होंगे। चूंकि डॉ. यादव खुद ही पहलवान है जिससे उम्मीद यह भी लगाई जा रही है कि वे प्रदेश के खिलाडि़यों के लिए बेहतर योजना बनाकर काम करे ताकि ये खिलाड़ी देश के साथ विदेशों में भी म.प्र. का नाम रोशन कर सके।

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