म.प्र. में सबसे अलग इंदौर, अफसर जनता को करते हैं परेशान- कांग्रेस
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प्रमोद कुमार दिवेदी
विहान हिंदुस्तान न्यूज
मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में प्रदेश सरकार से अलग ही नियम-कायदे और अघोषित कानून है। इन्हीं में से एक मामला विवाह पंजीयन के आनलाइन आवेदन को लेकर भी है जिसकी तरफ ध्यान कांग्रेस ने दिलाया है। कांग्रेस का कहना है इंदौर में कुछ अधिकारी जानबूझकर भी ऐसा करते हैं जिसपर राज्य सरकार ध्यान नहीं देती है।
म.प्र. कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता व एडवोकेट प्रमोद कुमार द्विवेदी ने मीडिया को बताया कि विवाह के लिए ईमेल से आवेदन इंदौर में स्वीकार नहीं किये जाते हैं जबकि प्रदेश के अन्य शहरों में ईमेल को मान्प किया गया है। एड्वोकेट प्रमोद कुमार व्दिवेदी ने सवाल उठाया कि ईमेल जरिए न्यायालय आदेश दिया जाता है, अन्य विभागीय कार्यवाही भी होती है। विशेष विवाह अधिनियम 1956 की धारा-6 की उपधारा/2/में आवेदन लिए जाते हैं। आवेदक अगर विदेश में हैं और उसे भारत में आकर अपने शहर में यह विवाह निश्चित दिनांक को करना है तो ऐसे में ईमेल से आवेदन किया जाना समय की बचत और जनता के लिए बड़ी सुविधा है। विदेश से स्वदेश में आने पर हमारे युवाओं को वैसे ही छुट्टी कम मिलती है, ऐसे में विवाह पंजीयन में बड़ा समय खपाना न्यौचित भी नहीं है। विदेश से आने के बाद तकरीबन एक माह विवाह पंजीयन की औपचारिक में ही लग जाते हैं और फिर वापस विदेश लौटने का समय आ जाता है। विवाह पंजीयन होने के बाद ही दुल्हन (दूल्हा भी यदि दुल्हन विदेश से आए) को विदेश का वीजा मिल पाता है। ऐसे में जोड़े को कुछ समय मजबूरन ही अलग अलग रहना होता है। इंदौर के कई युवा विदेश में नौकरी कर रहें हैं। ऐसे में इंदौर प्रशासन ईमेल के जरिए आवेदन लेता है तो हमारे युवा विदेश से ही आवेदन कर देंगे और बाकि औपचारिक इंदौर आकर पूरी कर दें। विवाह होते ही वह अपने साथी के वीजा के लिए एप्लाय कर सकता है ताकि दोनों साथ साथ विदेश जा सके। इंदौर के बाहर प्रदेश के अन्य शहरों में ईमेल से आवेदन स्वीकार होने पर वहां दिक्कत नहीं आती है। एक ही प्रदेश में अलग अलग व्यवस्था प्रदेश सरकार के कार्य पर प्रश्नचिन्ह लगाती है जिसे सुधारा जाना चाहिए।