मांगल्या में वोटिंग मशीन की सील तोड़ दी, खजराना में सीआरसी के बगैर शुरू करवा दिया मतदान

मतदान को लेकर अधिकांश केंद्रों पर इस तरह की लाइन देखी गई।

विहान हिंदुस्तान न्यूज

म.प्र. में शुक्रवार को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हुआ जिसमें बढ़-चढ़कर मतदाताओं ने हिस्सा लिया। इंदौर में भी मतदाताओं ने बूथों पर लंबी कतार लगाकर बता दिया आज मतदाताओं का त्योहार है। इस बीच इंदौर में मतदान दल ने भी पूरे दिन अपना काम किया हालांकि कहीं-कहीं गलतियां भी हुई। एक बूथ पर तो वोटिंग मशीन की सील तोड़े जाने की सूचना आई जो काफी गंभीर मामला था। इससे भी गंभीर मामला खजराना के एक मतदान केंद्र पर हुआ जहां सीआरसी कराए बिना ही मतदान शुरू करवा दिया था। सीआरसी मॉक पोल के बाद किया जाता है यानी मॉक पोल के वोट हटाकर जीरो से वोट शुरू होते हैं।

सुबह 7 बजे से मतदान शुरू हो गया जो शाम को 6 बजे तक चला। हालांकि कुछ मतदान केंद्रों पर शाम को इतनी भीड़ थी कि वहां 6 बजे बाद भी वोट तो डलवाए गए लेकिन ये मतदाता वे ही थे जो 6 बजे के पहले वोटिंग लाइन में लग गए थे। कुछ मतदाता तो सुबह 7 बजे के पहले ही लाइन में लग गए थे। इस बार मतदाताओं में काफी जोश देखने को मिला जिसका नतीजा यह रहा कि अधिकांश वोटिंग सेंटर्स पर कतार लंबी ही दिखी। सुबह और शाम को तो ये लाइने काफी लंबी हो गई थी। जिला निर्वाचन अधिकारी व कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी. पूरे समय मतदान केंद्रों पर नजर रखते पाए गए। विधानसभा पांच के कुछ सेंटर्स पर धीमे कार्य किए जाने को लेकर उन्होंने नाराजगी भी जताई हालांकि ये सुबह का समय था। हालांकि धीमे मतदान के पीछे कारण भारत निर्वाचन आयोग के कुछ विशेष नियम और जनता का मतदान को लेकर उत्साह था।

कुछ खास अंश :-

-मांगल्या में एक सेंटर पर पीठासीन अधिकारी (पीओ) ने अपने यहां की मशीनों सील ही तोड़ दी। सील कैसे टूटी इसे लेकर मास्टर ट्रेनर तक हैरान थे। कुछ समय इस सेंटर पर मतदान में व्यवधान पड़ा।

-मिली जानकारी के अनुसार खजराना के एक मतदान केंद्र पर पीठासीन अधिकारी ने सुबह मॉक पोल तो करा लिया लेकिन उसके बाद सीआरसी कराना भूल गई। सीआरसी के तहत मॉक पोल के वोट हटा दिए जाते हैं जिसका बाकायदा सर्टिफिकेट लेना होता है। मतदान शुरू होने के कुछ देर बाद पीठासीन अधिकारी को सीआरसी नहीं किये जाने की बात ध्यान में आई तो बवाल मच गया। अब देखना यह है कि इसे लेकर निर्वाचन आयोग क्या करता है और इस विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार इसे किस तरह लेते हैं।

-एक मामला बड़ा अजब आया। अग्रवाल पब्लिक स्कूल में एक मतदाता जब मतदान करने पहुंचे तो पाया कि उनके नाम के आगे मतदान किया जाना लिखा गया है। जब सारी जानकारी आई तो पता चला इस मतदाता के पिता 80 साल से ऊपर की उम्र के हैं और उन्होंने घर से वोट डाला था। ये वोट बेटे के आगे लिखा गया जो तकनीकी दिक्कत थी। मामला कलेक्टर के पास भी पहुंचा था। पूरे मामले में बीएलओ से पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट किया कि वोट पिता का डला है हालांकि गलती तकनीकी थी जिससे बीएलओ भी इसमें कुछ नहीं कर सकती थी। आखिर में भारत निर्वाचन आयोग की टीम मतदान केंद्र पर पहुंची और उन्होंने संपूर्ण जानकारी लेने के बाद कागजी खानापूर्ति करते हुए बेटे से वोट डलवाया। मतदाता ने इसके लिए पूरी टीम का आभार भी माना।

-जहां-जहां भी मशीने खराब हुई या कोई अन्य दिक्कत हुई तो भारत निर्वाचन आयोग की टीम के सदस्य मौके पर पहुंचे। हैदराबाद से आई टीम की कुछ सदस्य हिंदी नहीं समझ रही थी जिससे वार्तालाप में खासी दिक्कत भी हुई।

-मतदान दल को बुधवार की रात को एक लिस्ट मिली थी जिसमें चाय-नाश्ते-भोजन की बात तो लिखी ही गई थी साथ में सी टाइप चार्जर व एक सामान्य चार्जर तक देने की बात थी। इसके अलावा गद्दे-रजाई आदि की बात भी लिखी गई थी। गुरुवार को तो अधिकांश मतदान दलों को चाय तक नसीब नहीं हुई और चार्जर तो दिखा ही नहीं। गद्दे-रजाई को लेकर भी कई मतदान दलों में नाराजगी देखी गई।

-मतदान दल के कर्मचारियों ने जिस तरह से मिल-जुलकर कार्य किया वह तारीफे काबिल है। यदि किसी को कोई दिक्कत होती तो समीप का मतदान दल उनकी मदद करता दिखा। कलेक्टर भी पूरे समय मतदान केंद्रों पर घूमे जिसकी काफी सराहना की गई। -शुक्रवार की रात को जब मतदान दल अपना कार्य समाप्त कर नेहरू स्टेडियम पहुंचे तो उनका फूलों से स्वागत किया गया। इससे पहले मतदान के लिए जाने के समय ढोलक बजाकर विदाई दी गई थी। स्टेडियम से बस तक लाने व ले जाने के लिए पिकअप वाहन भी रखे गए थे।

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